‘प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को कांटों का ताज बताया जाता है, मैं इसे फूलों के ताज में तब्दील कर दिखाऊंगा’
विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बिहार इकाई में फेरबदल किया है. सम्राट चौधरी की जगह दिलीप जायसवाल को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. दिलीप जायसवाल ने सोमवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल लिया. नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी टीम में बड़े बदलाव के संकेत दिये हैं. उनकी टीम में 65% नए चेहरे शामिल होंगे जबकि 35% पुराने चेहरे को जगह दी जाएगी. बता दें कि सम्राट चौधरी की टीम में 48% सदस्य पिछली टीम यानी के संजय जायसवाल के समय के थे।
“प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को कांटों का ताज बताया जाता है, लेकिन मैं इसे फूलों का ताज में तब्दील कर दिखाऊंगा. एक-एक कार्यकर्ता को मैं सम्मान देने का काम करूंगा और उनकी सलाह से ही पार्टी को आगे बढ़ाने का काम करूंगा. 2025 के चुनाव में भारी बहुमत से एनडीए की सरकार बनेगी.”- दिलीप जायसवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं दिलीप जायसवालः भाजपा के अंदर पिछले कई महीनो से इस बात को लेकर खींचतान चल रही है कि दूसरे दल से आए नेताओं को अधिक तवज्जो दिया जा रहा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा था कि प्रदेश अध्यक्ष वैसे नेता को बनाना चाहिए जिसका बैकग्राउंड भाजपा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का है. यहां बता दें कि सम्राट चौधरी, भाजपा के पुराने नेता हैं. वो राजद और जदयू के रास्ते भाजपा में आए थे. कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कुछ नेताओं में नाराजगी थी. केंद्रीय नेतृत्व ने आरएसएस पृष्ठभूमि के दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है।
“सम्राट चौधरी ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं. बिहार में सरकार बन गई, दिल्ली की सरकार बन गई और दोनों सदनों में भाजपा नेता अध्यक्ष और सभापति के पद पर बैठ गए. सम्राट चौधरी के रिकॉर्ड को दिलीप जायसवाल तोड़ेंगे, मेरी यह शुभकामना है क्योंकि रिकॉर्ड टूटने के लिए बनते हैं.”- नंदकिशोर यादव, विधानसभा अध्यक्ष
सम्राट पर भाजपा ने खेला था बड़ा दांवः भाजपा ने सम्राट चौधरी को जब प्रदेश अध्यक्ष बनाया था तब दो-दो मोर्चे पर लड़ाई लड़नी थी. भाजपा के सामने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव दोनों थे. नीतीश कुमार के साथ लवकुश वोट जुड़ा था. इसी वोट बैंक में सेंधमारी के लिए भाजपा ने सम्राट पर दांव लगाया था. लेकिन अब बिहार की राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं. भाजपा अब जदयू के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. ऐसे में लवकुश वोट का नेतृत्व नीतीश कुमार को करने के फिर से मौका दिया गया. अब भाजपा दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अति पिछड़ा वोट साधने की कोशिश कर रही है।
“भारतीय जनता पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है. इसके लिए मैं पार्टी का आभारी हूं. भाजपा की पूरी टीम दिलीप जायसवाल जी के साथ खड़ी रहेगी. कई कार्यकर्ता सरकार और संगठन के बीच में झूलते रहते हैं वैसे कार्यकर्ताओं को मैं सरकार में जगह दिलाने के लिए पहल करूंगा.”- सम्राट चौधरी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह उपमुख्यमंत्री
सीमांचल पर भी भाजपा की नजरः दरअसल भाजपा दिलीप जायसवाल के जरिए एनडीए के कमजोर किले सीमांचल को भी फतेह करना चाहती है. दिलीप जायसवाल, सीमांचल इलाके के मजबूत नेता हैं. यहां, विपरीत परिस्थिति में भी तीन बार से विधान परिषद का चुनाव जीत रहे हैं. ऐसे में भाजपा ने दिलीप जायसवाल को आगे कर सीमांचल इलाके में अपनी जमीन मजबूत करने का प्रयास करेगी. राजनीति के जानकारों की मानें तो दिलीप जायसवाल, जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं इसलिए पार्टी में उनको महत्वपूर्ण जगह मिलने पर स्थानीय कार्यकर्ताओं में जोश उत्पन्न होगा. संगठन मजबूत होगा।
“पूरी पार्टी दिलीप जायसवाल के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी. मुझे तो चार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के अनुभव का लाभ मिला था लेकिन दिलीप जायसवाल को आठ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के अनुभव का लाभ मिलेगा.”- मंगल पांडे, भूतपूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह स्वास्थ्य मंत्री
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