बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जहरीली शराब से हजारों जान लेने वाला मुख्यमंत्री करार दिया है। यादव ने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि बिहार के हर चौक-चौराहे पर शराब की दुकानें खुलवाने वाले तथा शराबबंदी के नाम पर जहरीली शराब से हजारों जाने लेने वाले मुख्यमंत्री अब महात्मा बनने का ढोंग कर रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री कुमार ने अपने शुरू के 10 वर्षों में बिहार में शराब की खपत बढ़ाने के हर उपाय किए और अब अवैध शराब बिकवाने के हर उपाय कर रहे है। क्या मुख्यमंत्री मेरे इन तथ्यों को झुठला सकते है।उन्होंने कहा है कि गरीबों की जान लेकर मुख्यमंत्री अब महात्मा बनने का ढोंग कर रहे। प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि वर्ष 2004.05 में बिहार के ग्रामीण इलाकों में 500 से भी कम शराब की दुकानें थीं, लेकिन 2014.15 में उनके शासन में यह बढ़कर 2360 हो गई। 2004.05 में राज्य में लगभग 3000 शराब की दुकानें थीं जो 2014.15 में बढ़कर 6000 से अधिक हो गईं। वर्ष 1947 से 2005 यानी 58 साल में बिहार में सिर्फ 3000 दुकानें ही खुली लेकिन 2005 से लेकर 2015 तक नीतीश जी ने 10 साल में इसे दोगुना कर 6000 कर दिया। 58 साल में बिहार में हर साल औसतन 51 दुकानें खोली गईं लेकिन 2005.15 के 10 साल नीतीश राज में हर साल औसतन 300 दुकानें खुलीं।
‘बिहार में शराबबंदी लागू है, क्या मजाक है’
यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री के ध्यानार्थ शराबबंदी के बाद के भी कुछ तथ्य साझा कर रहा हूं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में शराबबंदी होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं। वर्तमान बिहार में 15.5 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते हैं। वहीं इसकी तुलना में महाराष्ट्र जहां शराबबंदी नहीं है, वहां शराब पीने वाले पुरुषों का प्रतिशत महज 13.9 है। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 14 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं, फिर भी मुख्यमंत्री कुमार के अनुसार बिहार में शराबबंदी लागू है, क्या मजाक है।
‘अवैध शराब का काला काराबोर बदस्तूर जारी’
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री कुमार की तथाकथित शराबबंदी के बाद भी स्थिति इतनी बदतर है कि एक आंकड़े के अनुसार बिहार में हर दिन औसत 400 से ज्यादा लोगों की शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तारी होती है तथा बिहार पुलिस एवं मद्य निषेध विभाग की ओर से प्रदेश में हर दिन करीब 6600 छापेमारी होती है यानी औसत हर घंटे 275 छापेमारी होती है। इसका अर्थ है बिहार पुलिस और मद्य निषेध विभाग हर महीने लगभग दो लाख तथा प्रतिवर्ष 24 लाख जगह छापेमारी करता है, लेकिन इसके बाद भी अवैध शराब का काला काराबोर बदस्तूर जारी है।