रंगीले ‘साहब’ को ‘महिला कर्मी’ ने पीट दिया ! रिटायरमेंट के बाद संविदा नियोजित अफसर की हरकत से परेशान थी वो…, लोकतंत्र के मंदिर के गलियारे में जबरदस्त चर्चा

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नीतीश राज में सरकारी अधिकारियों की बल्ले-बल्ले है. बिहार में सरकारी अफसरों-इंजीनियरों के रिटायरमेंट के बाद फिर से उसी पद पर नियोजन करने का खेल चल रहा है. प्रवर्तन निदेशालय ने 27 मार्च को भवन निर्माण विभाग के एक मुख्य अभियंता, जिन्हें रिटाय़रमेंट के बाद फिर से उसी पद पर संविदा नियोजन कर लिया गया था, के ठिकानों पर छापेमारी की और करोड़ों रू बरामद किए हैं. इसके बाद पूरी सरकार बेनकाब हो गई. लाज बचाने के लिए 24 घंटे के अंदर आरोपी मुख्य अभियंता तारणी प्रसाद को सेवा से हटाया गया है. यह खेल सिर्फ भवन निर्माण विभाग में ही नहीं हुआ है, बिहार के कई विभाग-संस्थाओं में ऐसा खेल किया गया है.

निदेशक और महिला कर्मी के बीच हुई मारपीट ! 

सरकारी सेवा से रिटायरमेंट के बाद फिर से संविदा नियोजन होने के बाद वैसे लोग नियमों को ठेंगा दिखा रहे, कानून का कोई डर नहीं. जानकार बताते हैं, जिम्मेदार पद पर बैठे लोग चुनिंदा अधिकारियों के रिटायरमेंट के बाद फिर से उसी पद पर संविदा नियोजित कराकर बड़ा खेल करा रहे. यह काम धड़ल्ले से जारी है. आज हम एक ऐसे ही रिटायर अधिकारी, जिन्हें फिर से उसी पद संविदा नियोजित कराया गया है, उनके और एक महिला सहकर्मी के बीच हुए विवाद की चर्चा करेंगे. रिटायर अधिकारी (संविदा नियोजित निदेशक) के कारनामों की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है. लोकतंत्र के मंदिर व सत्ता के गलियारे में रिटायर अधिकारी (अब संविदा नियोजित अफसर ) के कारनामों की जबरदस्त चर्चा है. जितनी मुंह उतनी बातें..लेकिन सबकी बात में एक कॉमन…आज डायरेक्टर साहब की जमकर……।

निदेशक ने क्या किया..जो महिला कर्मी हो गई आगबबूला ?

बात चार दिन पुरानी है. गलियारे में एक रिटायर अधिकारी ( अब संविदा नियोजित) के कारनामों की जबरदस्त चर्चा चल रही थी. हर किसी के जुबान पर उक्त संविदा नियोजित अधिकारी का एक महिला कर्मी से विवाद होने की चर्चा चल रही थी. उक्त सचिवालय का हर कर्मी एक दूसरे से पूछ रहा था, महिला कर्मी और पुरूष अधिकारी ( अब संविदा नियोजित) के बीच क्या हुआ, किस बात पर बात इतनी बढ़ गई ? मारपीट हुई या सिर्फ कहासूनी ? चर्चा तो यहां तक चल रही थी कि महिला कर्मी इतने गुस्से में थी कि उसने उक्त अधिकारी की कॉलर तक पकड़ ली. टेबल पटकने से लेकर पिटाई करने तक की चर्चा चल रही थी. उक्त सचिवालय के जितने भी कर्मी-अधिकारी थे, सबने ये चर्चा सुनी, कई ने तो देखा भी. आखिर वजह क्या रही जो एक महिला कर्मी अपने बॉस का कॉलर पकड़ने को विवश हुई ?

गलियारे में चर्चा- हरकत से परेशान है महिला कर्मी 

जब यह वारदात हुई, तब वहां महत्वपूर्ण कामकाज निबटाये जा रहे थे. उक्त सचिवालय कॉरिडोर में माननीयों से लेकर अधिकारियों की लगातार आवाजाही थी. प्रजातंत्र में जिसे मंदिर कहा जाता है, उससे जुड़े सचिवालय में महिला कर्मी और संविदा नियोजित निदेशक के विवाद की चर्चा माननीयों ने भी सुनी. सिर्फ माननीयों को ही यह जानकारी नहीं लगी बल्कि, खबरनवीसों तक भी यह भनक पहुंची. सबकी जुबान पर यही चर्चा थी, आखिर माजरा क्या है….रिटायर अधिकारी जो फिर से संविदा नियोजित होकर उसी पद पर आए हैं, उन्होंने क्या कांड किया ? महिला कर्मी को ऐसा करने पर क्यों विवश होना पड़ा ? गलियारे से जुड़े लोग इसके पीछे रिटायर अधिकारी के चरित्र पर सवाल खड़े कर रहे हैं. बताया जाता है कि रिटायरमेंट के बाद उक्त अधिकारी को फिर से संविदा नियोजित कर निदेशक के पद पर बिठा दिया गया है. सिर्फ बिठाया ही नहीं गया है, बल्कि महत्वपूर्ण पोस्टिंग दी गई है. इसके बाद उक्त अधिकारी की गंदी हरकत और बढ़ गई, जिससे वो कर्मी परेशान थी.

विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद संविदा नियोजित अधिकारी अपने सचिवालय के उक्त महिला कर्मी को लगातार शारीरिक-मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था. यह खेल लंबे समय से चल रहा था. उस दिन बात बढ़ गई और मामला मारपीट तक पहुंच गया.

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