नीतीश राज में मंत्रियों को जिलों का प्रभारी मंत्री बनाया जाता है. प्रभारी मंत्री की हैसियत से मंत्रीगण स्वतंत्रता दिवस-गणतंत्र दिवस पर जिला मुख्यालय में झंडोत्तोलन करते हैं. लालू-राबड़ी राज में ऐसी व्यवस्था नहीं थी. स्वतंत्रता दिवस-गणतंत्र दिवस पर मंत्रियों के बीच झंडोत्तोलन को लेकर प्रतिस्पर्धा रहती थी. एक जिले से कई मंत्री होते थे, वे जिला मुख्यालय में झंडा फहराना चाहते थे. लेकिन सरकार की तरफ से स्पष्ट गाईडलाईन नहीं था. ऐसे में भारी समस्या होती थी. तब राबड़ी सरकार ने वर्ष 2000 में 1991 के दिशा निर्देश को बदलते हुए नया गाईडलाइन जारी किया था.इस तरह से लालू-राबड़ी राज के 10 सालों बाद मंत्रियों को यह सुविधा दी गई थी.
राबड़ी सरकार ने 12 अगस्त 2000 को जारी किया था गाइडलाइन
राबड़ी सरकार ने स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले 12 अगस्त 2000 को झंडोत्तोलन को दिशा निर्देश जारी किया था. मंत्रिमंडल सचिवालय के उप सचिव चंद्रशेखर चौधरी की तरफ से इस संबंध में सभी प्रमंडलों के आयुक्त, पुलिस महानिदेशक, क्षेत्रीय आरक्षी महा निरीक्षक, जिलाधिकारी, आरक्षी अधीक्षक और सभी अनुमंडलों के अनुमंडल पदाधिकारी को पत्र लिखा गया था.
पटना-रांची को छोड़ बाकी जिलों के लिए था पत्र
बिहार सरकार के पत्र में कहा गया था कि पटना तथा रांची को छोड़कर अन्य अनुमंडलों या जिला मुख्यालय में अगर कोई मंत्री या राज्य मंत्री झंडोत्तोलन करना चाहे तो उन्हें इसकी सुविधा दी जाए. कैबिनेट सचिवालय की तरफ से कहा गया था कि अगर किसी जिले में एक से अधिक मंत्री हों और सभी झंडोत्तोलन करने की इच्छा जाहिर करें तो जिस मंत्री की कार्य अवधि सबसे अधिक हो, उसे झंडोत्तोलन कराई जाए. अगर एक जिले में एक से अधिक मंत्री हों, और सभी झंडा फहराने की इच्छा जाहिर करें, और सभी की कार्य अवधि समान हो,तब मंत्री की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना में क्रम में पहले आने वाले मंत्री को ही झंडोत्तोलन करने की सुविधा दी जाए.
राज्यमंत्री को भी दिया गया था अधिकार
राबड़ी सरकार ने आगे स्पष्ट किया था कि अगर किसी जिले में कोई कैबिनेट मंत्री नहीं हो, सिर्फ राज्यमंत्री हो, ऐस में भी नियम से काम करें. राज्यमंत्री झंडोत्तोलन करना चाहें तो उनसे कराएं. अगर एक जिला में एक से अधिक राज्य मंत्री हों और सभी ने झंडोत्तोलन की इच्छा जाहिर की तो जिस राज्य मंत्री की कार्य अवधि सबसे अधिक होगी उन्हें झंडोत्तोलन की सुविधा दी जाए.