मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से हैरान कर देने वाली और सिस्टम की लापरवाही का बड़ा मामला प्रकाश में आया है. जहां एक युवक पिछले 11 साल से आरक्ष की नौकरी कर रहा था और बाद में पता चला कि वह फर्जी तरीके से आरक्षक बना था।
इस मामले में ग्वालियर की एसटीएफ कोर्ट ने आरोपी युवक के खिलाफ दो मामलों में सजा सुनाई है. कोर्ट ने युवक पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया है और 14 साल की सजा सुनाई गई है. युवक का नाम धर्मेंद्र शर्मा है, जो मुरैना का रहने वाला था। आरोपी धर्मेंद्र 11 साल से पुलिस आरक्षक की नौकरी कर रहा था. जांच के दौरान पता चला कि उसने साल 2013 में सॉल्वर के जरिए परीक्षा पास की थी, जिसको लेकर साल 2022 में एसटीएफ के भोपाल हेडक्वार्टर पर धर्मेंद्र के खिलाफ शिकायत की गई।
आरोपी आरक्षक धर्मेंद्र शर्मा इंदौर के विजयनगर थाने में तैनात है. मामले की शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू की गई तो पता चला कि युवक ने फर्जी तरीके से परीक्षा पास की थी। इसके बाद कोर्ट ने धर्मेंद्र को 14 साल की सजा सुनाई और 20000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा की अयोग्य और भ्र्ष्ट के शासकीय सेवक बनने से दुष्प्रभाव। ऐसे अपराध से युवा वर्ग और समाज प्रभावित होता है. ऐसे अपराध रोकने के लिए कठोर दंड जरूरी।