बेउर जेल अधीक्षक के भ्रष्टाचार की खुली पोल…हुए बेनकाब, दूसरे कम हैं क्या…परिवहन के ‘धनकुबेर दारोगा’ की चालाकी जान दंग रह जाएंगे
बिहार के सुशासन की सरकार में अफसरों की चांदी है. सरकारी सेवक दोनों हाथ से माल कमा कर अकूत संपत्ति अर्जित कर रहे. भू माफियाओं के माध्यम से रिश्वत का पैसा जमीन में लगा रहे. आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने तीन दिन पहले एक ऐसे ही धनकुबेर सरकारी सेवक की पोल खोली है. शनिवार को ईओयू की टीम ने बेउर जेल के अधीक्षक बिधु कुमार व सहयोगियों के आठ ठिकानों पर छापेमारी की. जिसमें पूरी पोल-पट्टी खुल गई. आर्थिक अपराध इकाई की जांच में पता चला है कि बेऊर जेल के अधीक्षक विधु कुमार रिश्वत के पैसे को खपाने के लिए भू माफिया नीरज सिंह के माध्यम से जमीन में लगा रहे. वैसे सिर्फ जेल अधीक्षक विधु कुमार ही नहीं, कई ऐसे सरकारी सेवक हैं, जिन्होंने सेवा के दौरान पत्नी या बेटे के नाम पर संपत्ति अर्जित की और सरकार से छुपा लिया. परिवहन विभाग के एक दारोगा का खेल जानकर आप चौंक जाएंगे. प्रवर्तन अवर निरीक्षक ने पहले संपत्ति बनाई, इसके बाद सरकार की आंखों में धूल झोंका.
परिवहन विभाग के धनकुबेर दारोगा की चालाकी….
परिवहन विभाग के एक धनकुबेर दारोगा( प्रवर्तन अवर निरीक्षक) ने सरकार की नजरों से बचने को लेकर जबरदस्त खेल खेला. हालांकि इनकी चालाकी धरी गई है. दारोगा जी ने संपत्ति अर्जन में अपने नाबालिक बेटे को आगे किया. नाबालिग के नाम पर नवंबर 2022 में एक दिन में ही114 डिसमिल जमीन की खऱीद की. बेटे को माईनर दिखाया और पत्नी को गार्जियन दिखाया. इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री कराई। चंपारण के शिकारपुर निबंधन कार्यालय में नवंबर 2022 में परिवहन दारोगा ने यह रजिस्ट्री कराई थी. परिवहन दारोगा ने 2023 में दिए संपत्ति के ब्योरे में इस जानकारी को सरकार से छुपाया, पोल खुली तो 2024 में उन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी सरकार को दी . उसमें बेटे के नाम पर अर्जित संपत्ति को मां-दादी से गिफ्ट बता दिया. जबकि जमीन के क्रय के कागजात सबूत के तौर पर है. 2 नवंबर 2022 को परिवहन दारोगा की पत्नी और नाबालिग बेटे के नाम पर अर्जित की गई 114 डिसमिल जमीन को खरीदगी बताई गई है. क्रेता में परिवहन दारोगा की पत्नी और बेटे का नाम है. वहीं विक्रेता में #####ठाकुर के नाम का उल्लेख है. यहां एक और खेल किया गया है…नाबालिग बेटे का पेशा कृषि बताया गया है. वहीं पत्नी को हाउस वाइफ. साथ ही जमीन की खऱीद का सरकारी मूल्य का भी उल्लेख किया गया है. कागजात में लाखों रू मूल्य बताया गया है. जमीन की खरीद करना गलत नहीं पर छुपाना या गलत जानकारी देना गुनाह है .ऐसा करने पर सरकार उसे आय से अधिक संपत्ति बताती है और कार्रवाई करती है.
खरीदगी जमीन को बताया गिफ्टेड…
परिवहन दारोगा ने 2024 के संपत्ति के ब्योरे में बेटे के बारे में लिखा था कि कि”खेती योग्य जमीन 10 कट्ठा जो मां-दादी मां द्वारा गिफ्टेड है.” जबकि सबूत इसके उलट है. सरकारी कागजात में क्रेता-विक्रेता और सरकारी मूल्य का उल्लेख किया गया है, जो साबित करता है कि किसी ने 114 डिसमिल जमीन बेची और दूसरे शख्स(प्रवर्तन अवर निरीक्षक) की पत्नी-बेटे ने 114 डिसमिल जमीन की खरीद की. अब 2025 है...एक बार फिर से सरकार ने सभी सरकारी सेवकों से चल-अचल संपत्ति का ब्योरा साझा करने को कहा है. अब देखना होगा कि परिवहन विभाग के प्रवर्तन अवर निरीक्षक इस बार कौन सा खेल करते हैं. वैसे ये दारोगा जी अपने ही बुने जाल में उलझते जा रहे हैं. बचने के लिए इस बार कुछ नया प्रयोग किया तो और फंसगे, क्यों कि 2023 और 2024 का ब्योरा सबके सामने है.
चंपारण के रहने वाले हैं प्रवर्तन अवर निरीक्षक
संपत्ति छुपाने के इस खेल में प्रवर्तन अवर निरीक्षक खुद बेनकाब होते दिख रहे हैं. परिवहन दारोगा के बारे में और जान लें. प्रवर्तन अवर निरीक्षक का पैतृक जिला पश्चिम चंपारण है. 2023 में ये परिवहन दारोगा पटना में प्रतिनियुक्त थे. इसके बाद यूपी से सटे जिला में तैनात हो गए। अब संपत्ति के खिलाड़ी ये प्रवर्तन अवर निरीक्षक भागलपुर इलाके में तैनात हैं. हालांकि सरकार की जांच एजेंसियां ऐसे धनकुबेर सरकारी सेवकों की पड़ताल में जुटी है. वह दिन दूर नहीं जब सरकार की आंखों में धूल झोकने वाले परिवहन विभाग के इस दारोगा बेनकाब हों.
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