ट्रंप के शासन में ऑयल ड्रिलिंग की लागत बढ़ेगी, कच्चे तेल की कीमतों पर होगा असर
अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में ऑयल मार्केट में अहम बदलाव आ सकते हैं। ऑयल ड्रिलिंग की लागत में इजाफा हो सकता है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
वेंचुरा सिक्योरिटीज की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका में अतिरिक्त कच्चे तेल उत्पादन के लिए और तेल के कुएं खोदने की आवश्यकता होगी। मौजूदा समय में ऑयल ड्रिलिंग की लागत 64 डॉलर प्रति बैरल है, जो कि आने वाले वर्षों में बढ़कर 67 से 70 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका में नए प्रशासन की कोशिश आक्रामक ड्रिलिंग नीतियों के माध्यम से अमेरिकी तेल उत्पादन को बढ़ाना है। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव आ सकता है।
व्यापारिक तनाव विशेष रूप से टैरिफ नई अनिश्चितताएं ला सकते हैं, जिससे कच्चे तेल की कीमतें और अमेरिकी निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि मध्य पूर्व में तनाव और भविष्य में ईरान पर प्रतिबंध लगने का असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ सकता है। ट्रंप के नेतृत्व में कच्चे तेल की कीमतों को तय करने में यह सभी फैक्टर्स अहम भूमिका निभाएंगे।
2018 में ईरान पर दोबारा से प्रतिबंध लगने के कारण वहां के तेल निर्यात में काफी कमी आई थी।
रिपोर्ट में बताया गया कि अगर प्रतिबंध दोबारा से लगते हैं तो दुनिया में कच्चे तेल की आपूर्ति कम होगी और इसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर होगा।
वर्तमान में प्रतिबंधों को सख्ती से लागू नहीं किया गया है और ईरान तेल निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि करने में सक्षम है। मौजूदा बाजार कीमतें सीएमपी डब्ल्यूटीआई क्रूड 70 डॉलर, ब्रेंट 74 डॉलर और एमसीएक्स नवंबर फ्यूचर्स 6,024 रुपये हैं। ट्रम्प शासन पाइपलाइन बुनियादी ढांचे में निवेश करके तेल उद्योग को भी राहत दे सकता है, जिससे कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ेगा।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.