भागलपुर. श्रावणी मेला में महादेव के कई चमत्कार सुनने और देखने को मिलतेहैं. कई कहानी तो ऐसी है कि सिर्फ महादेव ही ऐसा कर सकते हैं. ऐसे भक्तों के लिए सावन बहुत खास होता है. भक्त मनोकामना पूर्ण होने के बाद महादेव के दरवार में हाजिरी लगाते हैं. ऐसी ही एक भक्त है 45 साल की सुधा. इनकी कहानी भी दिल छुने वाली है. जब बीमार पति के इलाज के बाद डॉक्टर ने जवाब दे दिया तो महादेव से पति की जीवन मांग ली. महादेव ने भी दे दिया. पति के ठीक होने के बाद 45 की उम्र में पहली बार डंड प्रणाम करते हुए देवघर की यात्रा पर निकल गई है।
बिहार शरीफ के सुधा सिन्हा की है चमत्कारिककहानी
बिहार शरीफ की रहने वाली सुधा की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है. सुधा सिन्हा 45 वर्ष की उम्र में पहली बार शाष्टांग दंडवत होते हुए बैधनाथ धाम जा रही हैं. उनके साथ उनके पति भी इस यात्रा पर हैं.सुधा सुलतानगंज से जल लेकर दंड देते हुए निकली है.सुधाकच्ची कांवड़िया पथ पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं. दरअसल सुधा के पति नरेश सिन्हा को हेपेटाइटिस बी हो गया था. लगातार वह बीमार रह रहे थे. डॉक्टर ने उनके बचने की उम्मीद नहीं जतायी थी. इसके बाद सुधा ने भोलेनाथ से मन्नत मांगी की उनके पति अगर स्वस्थ होते हैं, तो वह दंड देते हुए बैधनाथ धाम जाएंगे. इसके बाद इस वर्ष सावन में सुधा यात्रा पर निकली है।
पति ने पत्नी को माना मिसाल
पति नरेश अपनी पत्नी को मिसाल मानते हैं. नरेश कहते हैं की मेरेबचने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन महादेव से उनकी पत्नी ने कामना की थी. तो महादेव ने उनकीसुनीऔर कामना पूरी कर दी. अब उनके द्वार जा रहे हैं. आपको बता दें कि सावन के महीने में खासकर महादेव को रिझाने के लिए तीन तरह के कांवड़िया श्रद्धालु सुलतानगंज से बैधनाथ धाम जाते हैं. एक सामान्य बम होते हैं, एक डाक बम तो एक डंडी बम होते हैं. सबसे कष्टप्रद यात्रा डंडी बम की होती है. यह डंडी बम डेढ़ से दो महीने में बैधनाथ धाम पहुंचते है।
रात में नहीं चलते हैं डंडी बम
आपको बता दें कि डंडी बम रात के समय नहीं जाती है. ऐसी मान्यता है सूर्यास्त के बाद उनकी यात्रा समाप्त हो जाती है. सूर्योदय होते ही वो अपनी यात्रा पर निकलते हैं. ऐसे में रोजाना करीब 3 से 4 किलोमीटर की यात्रा करते हैं।