बिहार में जमीन सर्वे को लेकर हो रहे संशय को सरकार ने किया दूर

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बिहार में बीते 20 अगस्त से जमीनों के सर्वे का काम शुरू हो गया है। जमीन का सर्वे शुरू होने के साथ ही इसको लेकर लोगों में तरह-तरह का संशय है। लोगों के मन में ऐसे तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं हालांकि सरकार ने लोगों के मन में उठ रहे तमाम संशय को दूर कर दिया है और कहा है कि जमीन का सर्वे लोगों को परेशान करने के लिए नहीं बल्कि राहत देने के लिए सर्वे कराया जा रहा है।

दरअसल, बिहार में जमीनों का सर्वे शुरू होने के साथ ही लोगों के मन में यह डर है कि कहीं उनकी पुस्तैनी जमीन कही सर्वे के बाद उनसे छीन तो नही जाएगी। जमीन सर्वे को लेकर उठ रहे सवालों के बीच बिहार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने स्पष्ट किया है कि सर्वे में किसी की जमीन उससे छीनने नहीं जा रही है। इसको लेकर लोग पूरी तरह से निश्चिंत रहे। जमीन का सर्वे लोगों को राहत देने के लिए कराया जा रहा है ना कि उनसे जमीन छीनने के लिए हो रहा है।

मोतिहारी पहुंचे मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि गांव के लोगों में या जो लोग बिहार से बाहर दूसरे राज्यों दिल्ली, पंजाब या अन्य कही रह रहे हैं, उनके मन में यह आशंका हो गया है कि ऐसा तो नहीं कि सर्वे में जो हमारी जमीन है, जो वंशावली के तहत मिली है या किसी कारण से आपस में बंटवारा नहीं कर पाए हैं तो फिर उसका सर्वे में होगा क्या? लेकिन आप पूरी तरह से निश्चिंत रहें।

मंत्री ने कहा कि जो जिस जमीन पर रह रहे हैं, जिनका कब्जा जिस जमीन पर है और उसका ऑनलाइन रसीद कट रहा है तो उनको किसी तरह के कोई कागजात दिखाने की जरुरत नहीं। जब ऑनलाइन रसीद कट रहा है और जमीन पर आपका कब्जा है, तो राजस्व विभाग के कर्मचारी और सर्वे अमीन को सरकार ने निर्देश दे दिया है कि उनको किसी तरह का कोई कागजात मांगने की जरुरत नहीं है। उनकी जमीन का सीमांकन कर सर्वे में जो रिकॉर्ड में है उनका नाम डाल दिया जाए।

उन्होंने बताया कि 72 फीसद मामलों में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है और कोई दिक्कत नहीं है। जो जमीन कब्जा में है उसका रसीद कट रहा है। ऐसे जमीन मालिकों को किसी तरह की कोई परेशानी सर्वे के दौरान नहीं होगी। बहुत लोग बोलते हैं कि उनकी पुस्तैनी जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है और आपसी सहमति से जमीन का उपयोग कर रहे हैं तो उन्हें भी कोई परेशानी नहीं होगी।
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