बिहार सरकार ने एक रिश्वतखोर अधिकारी को दंड दिया है. सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से इस संबंध में पत्र जारी कर दिया गया है. नालंदा के तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी सह राजगीर के प्रभारी सीडीपीओ रहे शकील आलम को निगरानी ब्यूरो ने 11 अप्रैल 2007 को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को जेल भेजा गया. निगरानी विभाग की रिपोर्ट के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने जेल भेजे गए अधिकारी शकील आलम को निलंबित कर दिया था.
कार्यवाही रिपोर्ट के बाद विभाग ने किया निलंबन मुक्त
विधि विभाग ने बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शकील आलम को निगरानी केस में अभियोजन की स्वीकृति दी. इसके बाद 7 जून 2007 को उनके खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया. सामान्य प्रशासन विभाग ने 1 जुलाई 2009 के प्रभाव से अनुशासनिक कार्यवाही संचालित की. खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया. संचालन पदाधिकारी ने 15 जून 2024 को जांच प्रतिवेदन दिया. इसके बाद इन्हें 3 दिसंबर 2024 के प्रभाव से निलंबन मुक्त किया गया.
रिश्वतखोरी में दोषी पाये गए अधिकारी
विभागीय कार्यवाही में तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी सह सीडीपीओ शकील आलम को दोषी पाया गया है. इसके बाद इन्हें आरोप वर्ष के लिए निंदन की सजा के साथ-साथ पांच वेतन वृद्धि संचयात्मक प्रभाव से रोक का दंड दिया गया है. बता दें, शकील आलम वर्तमान में अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी तेघडा में पदस्थापित हैं.
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