बिहार में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। दिसंबर खत्म होने को है और बिहार के लोग अभी हॉफ स्वेटर और हल्के जैकेट में भी गर्मी महसूस कर रहे हैं। ठंड के महीने में भी तीखी धूप है और कोहरे का अता-पता नहीं है। सर्द हवा के कमजोर होने से ठंड के इंतजार की तारीखें भी बढ़ती जा रही हैं।
इस पूरे साल मौसम के तेवर पर गौर करें तो अपेक्षित बारिश न होने से मानसून भी फीका रहा और अब सर्दी में तापमान सामान्य से काफी ऊपर है जबकि गर्मियों में प्रचंड तापमान के कारण दशकों के रिकॉर्ड टूट गए।
मौसमविदों का कहना है कि बिहार तीन वजहों से इस सर्दी में तापमान की मार झेल रहा है। पटना मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि बिहार में पिछले साल से सर्दियों के आने में देरी का ट्रेंड दिख रहा है। इस बार असर कुछ ज्यादा ही है। इसकी वजह एक तो पश्चिमी विक्षोभों की संख्या में कमी है, दूसरा जो विक्षोभ आ भी रहे हैं उनकी दिशा हर बार से इस बार अलग है। ये पश्चिमी विक्षोभ हिमाचल प्रदेश व जम्मू कश्मीर सहित पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी कराते हुए देश की सीमा से बाहर निकल जा रहे हैं। इनकी मजबूती भी पहले की तरह नहीं हैं। जिस वजह से पंजाब, मध्यप्रदेश व इसके आसपास तक सर्दी पड़ रही लेकिन बिहार तक ठंडी बयार नहीं पहुंच रही है। आशीष कुमार ने बताया कि बिहार में मानसून अवधि के बाद अब शीतकालीन बारिश में भी 70 की कमी हुई है। इस वजह से भी ठंड में कमी आई है।