बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने सभी 11 दोषियों की सजा में छूट वाला गुजरात सरकार का आदेश खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया। बिलकिस बानो केस में याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील रखने वाली सीनियर वकील वृंदा ग्रोवर ने फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार का फैसला गैरकानूनी था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। वृंदा ग्रोवर इस मामले में शुरुआत से ही मुखर रही हैं। इससे पहले भी वो कई ऐतिहासिक मामलों में अदालत के सामने दलीलें रख चुकी हैं। आखिर बिलकिस को इंसाफ दिलाने वाली वृंदा ग्रोवर कौन हैं?
दिल्ली यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से की है कानून की पढ़ाई
वृंदा ग्रोवर मानवाधिकार वकील हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा उन्होंने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वृंदा कई मानवाधिकार से जुड़े आंदोलनों में सक्रिय रही हैं। उन्होंने महिलाओं और बच्चों को घरेलू हिंसा और यौन हिंसा से बचाने के लिए बने कानूनों का मसौदा तैयार करने में भी योगदान दिया है। वृंदा अत्याचार के खिलाफ, सांप्रदायिक और टारगेट हिंसा के खिलाफ कानूनों की वकालत करती रही हैं।
महिलाओं से जुड़े मामलों में मुखर होकर रखती हैं पक्ष
वृंदा को देश की सीनियर वकील के तौर पर जाना जाता है। वो 1989 से सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और अन्य ट्रायल कोर्ट में वकालत कर रही हैं। वो आपराधिक कानून, महिलाओं के अधिकारों और मानवाधिकारों जुड़े मामलों की जानकार हैं। देशभर में पुलिस, अधिकारियों और न्यायिक अकादमियों में ट्रेनिंग कराने के लिए बुलाया जाता है। 2013 में टाइम मैग्जीन ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में दिया बड़ा फैसला
बिलकिस बानो केस में भी दोषियों की सजा में छूट के खिलाफ दायर याचिकाओं की दलील वृंदा ग्रोवर ने रखीं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह इस अदालत का कर्तव्य है कि वह मनमाने आदेशों को जल्द से जल्द सही करे और जनता के विश्वास की नींव को बरकरार रखे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि राज्य, जहां किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए गुजरात राज्य सक्षम नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र सरकार सक्षम है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोलीं वृंदा ग्रोवर?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस केस को गुजरात सरकार ने महाराष्ट्र में भेजा ताकि न्यायपूर्ण फैसला हो सके। लेकिन गुजरात सरकार ने बिना अधिकार के दोषियों को सजा में छूट दे दी। सरकार का आदेश कानून के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि दोषियों को जितनी राहत मिलनी चाहिए उतनी मिल चुकी है। अब कानून को ध्यान में रखकर दोषियों को सजा भुगतनी होगी और दो हफ्ते में जेल में रिपोर्ट करना होगा।