आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा को बढ़ावा देने में की है उल्लेखनीय प्रगति
प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में आयुष को मजबूत करने में की है उल्लेखनीय प्रगति
आयुष मंत्रालय की पहले 100 दिनों की प्रमुख उपलब्धियों क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, पटना के प्रभारी डॉक्टर ने डाला प्रकाश
क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, पटना अधीनस्थ सी.सी.आर.ए.एस, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मंगलवार (15-10-2024) को संस्थान के प्रभारी डा. रोहित कुमार रावते ने आयुष मंत्रालय की पहले 100 दिनों की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘‘प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में मंत्रालय ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में आयुष को मजबूत करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
डा. रोहित कुमार रावते ने पटना में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि आयुष के 100 दिनों की विकास गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विकास की विभिन्न गतिविधियों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ समझौता, औषधीय पौधों पर वियतनाम के साथ समझौता ज्ञापन, आयुर्वेद पर मलेशिया के साथ ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन, “एक जड़ी-बूटी, एक मानक” पहल को बढ़ावा देना, आयुष औषधियों के लिए विशेष मेडिकल स्टोर, 1489 आयुष्मान आरोग्य मंदिर (आयुष) का एनएबीएच मूल्यांकन पूरा हुआ, स्वस्थ भारत के लिए “हर घर आयुर्योग” अभियान, वृद्धजनों के लिए आयुष शिविर, आयुष उत्कृष्टता केंद्र, आयुष पैकेज को एबी-पीएमजेएवाई में शामिल करना जहां यहां कदम है वहीं, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का चरण (एआईआईए), नई दिल्ली, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, पंचकूला, हरियाणा के पंचकूला में 294.91 करोड़ रुपये के निवेश से राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान बनाया जाना योग और प्राकृतिक चिकित्सा पर तीन केंद्रीय अनुसंधान संस्थान ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में तीन केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (सीआरआईवाईएन) स्थापित करने की प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
मौके पर में राजकीय आयुर्वेदिक कालेज एवं अस्पताल, कदमकुआँ, पटना के प्राचार्य डा. सम्पूर्णानन्द तिवारी तथा डा. (प्रो.) अमरेन्द्र कुमार सिंह, रोग निदान एवं विकृति विज्ञान विभाग तथा साथ ही साथ इस संस्थान के भूतपूर्व सहायक निदेशक डा. कृष्ण कुमार सिंह एवं अनुसंधान अधिकारी (आयु.) क्रमशः डा. बालाजी पोटभरे, डा. अशोक कुमार सिन्हा, डा. रितिका मिश्रा, डा. कुमारी अर्चना उपस्थित रहे।
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