ज्ञानवापी पर मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट से मिला था झटका, अब सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

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ज्ञानवापी के सर्वे से रोक हटाने के लिए उच्च न्यायालय ने आज सुबह आदेश पारित किया था। इस आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले पर 9 अगस्त को सुनवाई होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट में मामले के पहुंचने के बाद अब सर्वे कल शुरू नहीं हो पाएगा। जबकि उच्च न्यायलय के आदेश के बाद शुक्रवार को ASI की टीम ज्ञानवापी का सर्वे करने वाली थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बाबत अपने फैसले में कहा था कि न्याय के हित में यह जरूरी है कि ज्ञानवापी का सर्वे कराया जाए। गौरतलब है कि वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश जारी किया था। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका लगने के बाद हिंदू पक्ष से जुड़े लोग उत्साहित थे। इस मामले पर अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘आजादी के अमृत महोत्सव कालखंड में जब गुलामी के चिह्न मिट रहे हैं तो काशी में ज्ञानवापी के माथे पर लगे गुलामी के चिह्न को ASI का सर्वे मिटाने में सक्षम होगा। वहीं हाईकोर्ट से मिले झटके के बाद आदेश को चुनौती देने के लिए अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। मस्जिद कमेटी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में मामले का जिक्र करते हुए कहा कि एएसआई को सर्वे की इजाजत न दी जाए। वहीं सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह इस मुद्दे पर गौर करेगा।

ज्ञानवापी के अंदर मिले सबूत

बता दें कि ज्ञानवापी के अंदर से कई अहम सबूत सामने आए हैं। जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें ज्ञानवापी के खंभों पर कई कलाकृतियां देखने को मिल रहा है। दावा किया जा रहा है कि ये कलाकृतियां नागर शैली में बनी हैं जो प्राचीन मंदिर में देखने को मिलता है। साथ ही ज्ञानवापी में खंडित मूर्ति, दीवारों पर त्रिशूलऔर स्वास्तिक के निशान भी मिले हैं। साथ ही ज्ञानवापी का पश्चिमी दीवार हिंदू शैली की ओर इशारा कर रहा है। हिंदू पक्ष का इस मामले पर कहना है कि मस्जिद में स्वास्तिक क्या कर रहा है। वहीं बीते दिनों एएनआई पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इंटरव्यू देते हुए कहा था कि ज्ञानवापी में त्रिशूल के निशान और शिवलिंग कहां से आ गए।

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