नये एयरपोर्ट के लिए स्थल का चयन गोराडीह से सुल्तानगंज होने की बड़ी वजह गोशाला की अतिक्रमित जमीन होना बतायी जा रही है। बताते हैं कि गोराडीह में चिह्नित जमीन का 30 प्रतिशत विवाद की जद में है।
यहां 692.43 एकड़ जमीन चिह्नित हुई है। इसमें सरकारी भूमि 284.43 एकड़ है। जबकि रैयती (निजी) भूमि 408 एकड़ है। रैयती जमीन में ही काफी विवाद है। परियोजना के लिए जो जमीन चिह्नित हुई है। वह गोशाला कमेटी की है। जिससे अतिक्रमण हटाने में गोशाला कमेटी हमेशा ही विफल रही है। गोशाला के कब्जे में मात्र 12 एकड़ जमीन है। करीब 90 मामले विभिन्न कोर्ट में वर्षों से लंबित है। यही वजह है कि प्रशासन ने भविष्य की समस्या को भांप कर नया स्थल सुल्तानगंज के आसपास चुना गया। बताया जाता है कि जमीन की इस समस्या से सिविल विमानन निदेशालय भी अवगत है। इसलिए पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव संख्या-2 की मंजूरी के बाद भी भविष्य में अधिक जमीन की जरूरत बताते हुए और अंतरराष्ट्रीय स्तर के हवाई अड्डा निर्माण के लिए 800 एकड़ से अधिक जमीन की मांग की गई। यही वजह है कि प्रस्ताव संख्या 1 में सुल्तानगंज-देवघर रोड से पश्चिम और निर्माणाधीन फोरलेन से दक्षिण चिह्नित कुल 855 एकड़ और प्रस्ताव संख्या-3 में अकबरनगर-शाहकुंड रोड से पश्चिम एवं फोरलेन से दक्षिण कुल 833.5 एकड़ जमीन ढूंढ़ कर निदेशालय को रिपोर्ट दी गई है।
गोराडीह में आठ मौजे की जमीन पर डीएम ने लगाई थी रोक
बताते हैं कि गोराडीह में नये एयरपोर्ट की जमीन चिह्नित होते ही प्लॉटर अधिक सक्रिय हो गए। जिसको लेकर समाहर्ता को मोहनपुर, चौमुख, सरकार अमानत, खरवा-470, खरवा-497, चकुलिया और रनवे के लिए पुन्नख व अगड्डा से जुड़ी जमीन की खरीद-बिक्री पर तत्काल रोक के लिए जिला अवर निबंधक को निर्देश देना पड़ा। राजस्व शाखा से संबंधित मौजा का खाता, खेसरा, थाना व तौजी नंबर तक भेजा गया। लेकिन प्रशासनिक रोक के बाद भी कई प्लॉटर जमीन खरीद-बेच रहे थे।