सच ही कहा गया है अगर सच्चे मन से मेहनत करो तो सफलता आपके कदम चुम ही लेती है। इस वाक्य को प्रतीक्षा टोंडवलकर ने सत्य कर दिखाया है। प्रतीक्षा बैंक में सफाई करने वाली एक महिला ने अपनी मेहनत और लगन से सफलता हासिल की है। बता दें 20 साल की उम्र में प्रतीक्षा के पति का निधन हो गया था। जिसके बाद से परिवार का सहारा बनने के लिए प्रतीक्षा ने बैंक में बतौर सफाई कर्मी नौकरी करना शुरू किया । प्रतीक्षा मेहनत करती रही और 37 साल बाद देश की सबसे बड़े बैंक में एक शीर्ष अधिकारी के पद तक पहुंच गई।
बता दें प्रतीक्षा टोंडवलकर का जन्म 1964 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। हाल ही में प्रतीक्षा को एसबीआई ने असिस्टेंट जनरल मैनेजर के पद पर प्रमोट किया गया है। प्रतीक्षा इस पद पर अपनी सच्ची मेहनत और लगन के कारण पहुंची हैं। इस पद तक पहुंचने का उनका सफर आसान नहीं था। शादी के कुछ साल बाद ही उनके पति का निधन हो गया था जिस कारण परिवार और छोटे बच्चे की जिम्मेदारी इनके ऊपर आ गई थी।
जब सर पर आई बेटे की जिम्मेदारी……….
17 साल की उम्र में प्रतीक्षा की शादी हो गई थी। उस दौरान प्रतीक्षा ने 10वीं भी नहीं किया था, लेकिन उनके पति एसबीआई में बुक बाइंडर का काम करते थे। शादी के एक साल बाद बेटे विनायक का जन्म हुआ, लेकिन एक हादसे ने उनके पति की जान ले ली। जिसके बाद प्रतीक्षा ने अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देने और एक अच्छा भविष्य देने के लिए नौकरी करना सही समझा। हालांकि पढ़ाई पूरी न होने के कारण वह किसी अच्छी नौकरी के काबिल नहीं थीं। जिस कारण उन्हे सफाई कर्मचारी के पद पर नौकरी करनी पड़ी।
ऐसी दी 10वीं की परिक्षा…..
प्रतीक्षा हमेशा अपने बेटे के उज्जवल भविष्य के लिए कुछ अच्छा करना चाहती थी। पति के बैंक ने प्रतीक्षा को नौकरी तो दे दी थी, लेकिन वो इस पद पर खुश नहीं थी इसी बैंक में प्रतीक्षा सफाई कर्मचारी बन गईं थी। वह प्रतिदिन सुबह बैंक ब्रांच में झाड़ू लगाती, साफ सफाई करतीं। इस काम के लिए उन्हें महीने के 60 से 65 रुपये मिलते थे। प्रतीक्षा जब बैंक पर लोगों को डेस्क वर्क करते देखतीं तो वह भी यहीं काम करना चाहती। उन्होंने 10वीं की परीक्षा देने का फैसला लिया। रिश्तेदारों, दोस्तों और बैंक कर्मचारियों ने उनकी पढ़ाई में मदद की।
37 साल बाद मिली सफलता……….
प्रतीक्षा ने 10वीं 60 फीसदी अंकों से पास की। फिर 12वीं का एग्जाम दिया। एक नाइट कॉलेज से मनोविज्ञान की स्नातक डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने पर उन्हें बैंक में क्लर्क के तौर पर पदोन्नति मिल गई। 37 साल बाद प्रतीक्षा को असिस्टेंट मैनेजर बनने का मौका मिला है। फिलहाल प्रतीक्षा के रिटायरमेंट में दो साल का समय बचा है।