‘निगरानी विभाग ने इस वर्ष 13 प्राथमिकी की दर्ज’, अरविंद चौधरी ने कहा- भ्रष्टाचार करने वाले 15 लोक सेवकों को सजा दिलाई गई
निगरानी विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने आज कहा कि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने इस वर्ष अब तक 13 प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें पद के भ्रष्ट दुरुपयोग के पांच मामले, प्रत्यानुपातिक धनार्जन के दो मामले एवं ट्रैप के छह मामले हैं।
‘ट्रैप कांडों में रिश्वत की राशि 4 लाख नवासी हजार रुपए’
चौधरी ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि निगरानी विभाग का गठन वर्ष 1981 को किया गया, जिसका उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था को भ्रष्टाचार एवं कदाचार से मुक्त करना है। राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सकारात्मक एवं निरोधात्मक निगरानी रखने के लिये वर्तमान निगरानी प्रणालियों को सक्षम, कारगर, संवेदनशील एवं गतिशील बनाना ही इस विभाग का मुख्य उद्देश्य है। निगरानी विभाग द्वारा सरकार के भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति, लोक निधि के दुरुपयोग को रोकने के साथ-साथ लोक निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है। निगरानी विभाग के अनुषंगी कार्यालय निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, विशेष निगरानी इकाई और तकनीकी परीक्षक कोषांग है। प्रधान सचिव ने बताया कि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने इस वर्ष 13 प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें पद के भ्रष्ट दुरूपयोग के पांच मामले, प्रत्यानुपातिक धनार्जन के दो मामले एवं ट्रैप के छह मामले शामिल हैं। उन्होंने बताया कि गृह तलाशी के क्रम में कुल तीन लाख अठारह हजार की नगद एवं पांच लाख अठासी हजार तीन सौ इक्कीस रूपये मूल्य के आभूषण की बरामदगी की गई है। ट्रैप कांडों में रिश्वत की राशि चार लाख नवासी हजार रुपए है।
अरविंद कुमार चौधरी ने बताया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दर्ज कांडों के विचारण के लिए तीन विशेष निगरानी न्यायालय, पटना, मुजफ्फरपुर एवं भागलपुर में कार्यरत है। वादों के विचारण के लिए विशेष निगरानी न्यायालय, पटना में 11, मुजफ्फरपुर में 04 एवं भागलपुर में 02 विशेष लोक अभियोजक कार्यरत है। बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम, 2009 के तहत दो न्यायालय पटना, दो मुजफ्फरपुर एवं दो भागलपुर में कार्यरत है। वादों के विचारण के लिए विशेष निगरानी न्यायालय, पटना में दो, मुजफ्फरपुर में दो एवं भागलपुर में दो विशेष लोक अभियोजक कार्यरत है।
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