भागलपुर के बुनकरों के लिए खुशखबरी है. अब उनका समय और पैसा दोनों बचेगा, क्योंकि अब भागलपुर में ही कपड़ों का डिजाइन तैयार होगा. इसको लेकर बुनकरों में खुशी है. बुनकर संघ के अध्यक्ष इबरार अंसारी ने बताया कि पहले साड़ी की डिजाइन का फ्रेम तैयार करवाने के लिए कोलकाता, मुंबई और दिल्ली भेजा जाता था. इससे काफी कॉस्टिंग आती थी. पर अब भागलपुर में डिजाइन तैयार होने से समय के साथ पैसों की भी बचत होगी. भागलपुर से सालाना 300 करोड़ की साड़ी का डिजाइन बाहर से तैयार होकर आता था।
बुनकर संघ के अध्यक्ष इबरार अंसारी ने बताया कि डिजाइन का बाजार काफी बड़ा है. कोलकाता, मुंबई और दिल्ली से सालाना 300 करोड़ का करोबार होता है. पर अब भागलपुर में डिजाइन बनने से यह पैसा भागलपुर में ही रहेगा. इसके साथ ही बुनकरों के समय के साथ पैसों की बचत होगी. उन्होंने आगे बताया कि भागलपुर में डिजाइन बनने से एक साड़ी पर 600 रुपए की बचत होगी. एक साड़ी को डिजाइन कराने में पहले 1500-1800 रुपया देना पड़ता था.अब भागलपुर में 1000-1200 में वहीं डिजाइन तैयार होकर मिलता है. जिला सिल्क सिटी के नाम से जाना जाता है. यहां सिल्क का कारोबार होता है. भागलपुर का चम्पानगर बुनकरों की एक बड़ी आबादी है. कई तरह के कपड़ों को तैयार किया जाता है।
भागलपुर के बुनकर अपने आप में फैशन डिजाइनर
बुनकर संघ के अध्यक्ष इबरार अंसारी ने बताया कि जिले में कभी एक भी डिजाइनर नहीं हुआ करता था. लेकिन अब धीरे धीरे भागलपुर में कई डिजाइनर तैयार हो रहे हैं. जो अब भागलपुर में ही कपड़ों पर डिजाइन करेंगे. उन्होंने कहा कि यहां के बुनकर अपने आप में एक फैशन डिजाइनर हैं. कई तरह के कपड़ों को डिजाइन कर तैयार करते हैं, लेकिन बाहर जाकर कपड़ों की जो डिजाइन होती थी वहीं पर उन कपड़ों की रैक लग जाती थी. वहीं से कपड़े की बिक्री होती थी, तो कपड़े की कीमत थोड़ी अधिक हो जाती थी, लेकिन अब भागलपुर में ही यह सारी सुविधाएं संभव हो रही हैं. जिसके कारण अब कपड़े की कीमत भी कम होगी. यहां सिल्क के साथ-साथ कॉटन, सिंथेटिक सहित कई तरह के कपड़े तैयार होते हैं।
अब विदेशी पहनेंगे भागलपुर में डिजाइन हुए कपड़े
अब भागलपुर में डिजाइन किए हुए कपड़े विदेश के लोग भी पहनेगें. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भागलपुर के युवा अब यहां के कपड़ों को डिजाइन करेंगे. आपको बता दें भागलपुर का बना कपड़ा सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी लोगों को खूब भाता है. खास कर अमेरिका, कम्बोडिया, थाईलैंड, जापान सहित कई अन्य देशों में जाता है।