रविवार की शाम बिहार में नई सरकार का गठन होने जा रहा है. नई सरकार में सीएम की कुर्सी पर भले ही पुराना चेहरा यानी नीतीश कुमार दिखेंगे लेकिन डिप्टी सीएम के तौर पर दो नए चेहरे शपथ लेंगे. ये दोनों चेहरे बीजेपी के हैं. दरअसल बीजेपी ने रविवार को पार्टी के विधायक दल की बैठक में सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को नेता और उपनेता चुना है, जिसके बाद दोनों को डिप्टी सीएम बनाया जाना है. विजय सिन्हा पहली बार बिहार में डिप्टी सीएम बनने जा रहे हैं.
विजय सिन्हा को बीजेपी का बिहार में बड़ा चेहरा माना जाता है. यही कारण है कि हाल के दिनों में उनका राजनीतिक ग्राफ तेजी से बढ़ा है. डिप्टी सीएम बनने से पहले वो इस समय बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. इससे पहले वो बिहार विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं. ऐसे में भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा के राजनीतिक सफर को जानना बेहद जरूरी है.
विजय 2005 से बिहार के लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वो 25 नवंबर 2020 से 24 अगस्त 2022 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी थे. साल 2017 से 2020 के दौरान बिहार में एनडीए की गठबंधन सरकार में वह श्रम संसाधन मंत्री की भूमिका भी निभा चुके हैं. विजय सिन्हा आरएसस बैकग्राउंड से आते हैं. साल 1967 में जन्मे सिन्हा ने 1982 में ही आरएसएस ज्वाइन कर लिया था. वो एएन कालेज बाढ़ में स्नातक के दौरान एबीवीपी के सक्रिय सदस्य रहे.
उन्होंने बेगूसराय के पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया है. विजय 1985 में बिहार पॉलिटेक्निक छात्र संघ के सचिव रहे. पहली बार 2013 में उन्हें भाजपा का प्रवक्ता बनाया गया था, इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इससे पहले साल 2000 में वो भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश संगठन प्रभारी भी रहे.
विजय सिन्हा 2004 में बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने. उन्होंने इसके बाद बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री और बेगूसराय और खगड़िया के क्षेत्रीय प्रभारी का जिम्मा भी संभाला. 2005 में विजय सिन्हा को पहली बार लखीसराय से विधायक चुना गया. 2010 से वह लगातार इस सीट से विधायक हैं. 2017 में विजय कुमार सिन्हा नीतीश सरकार में श्रम संसाधन मंत्री भी रहे. विजय सिन्हा जब बिहार विधानसभा के स्पीकर थे तो हाउस में ही उनकी सीएम नीतीश कुमार से सदन की कार्यवाही के दौरान तीखी झड़प भी हुई थी.