बिहार में सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा 75 फीसदी करने और फिर सरकार के फैसले पर पटना हाई कोर्ट की रोक के मुद्दे को लेकर बुधवार को विधानसभा के बाहर और अंदर जोरदार हंगामा हुआ. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार ने मजबूती से हाई कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा वहीं सरकार का कहना है कि विपक्ष सबकुछ जानते हुए भी बेवजह हंगामा कर रहा है।
‘सरकार की लापरवाही से लगी रोक’: इस मसले को लेकर आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि “बिहार सरकार की लापरवाही की वजह से पटना उच्च न्यायालय ने 75 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगा दी. सरकार ने हाई कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष नहीं रखा. अगर वास्तव में जेडीयू के लोग आरक्षण को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें आरक्षण के इस मसले को संविधान की 9वीं अनुसूची में डलवाना चाहिए, केंद्र में उनकी सरकार है.”
‘बिना वजह हंगामा कर रहा है विपक्ष’: वहीं इस मसले को लेकर आरजेडी के आरोप को संसदीय कार्य मंत्री और जेडीयू नेता विजय कुमार चौधरी ने पूरी तरह नकार दिया. विजय चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर ही बिहार में जातीय जनगणना हुई और फिर उसके आधार पर बिहार में 75 फीसदी आरक्षण का विधेयक ने सदन से सिर्फ पास हुआ बल्कि इसको लेकर सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी, लेकिन सरकार के फैसलो को हाई कोर्ट ने पलट दिया.”
“हमारे मुख्यमंत्री आरक्षण को लेकर संवेदनशील हैं. मुख्यमंत्री जी के प्रयासों से ही आरक्षण के फैसले पर मुहर लगी थी. पटना उच्च न्यायालय ने फैसले के खिलाफ निर्णय सुनाया, जिसके खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट गए हैं. वहां मजबूती से अपना पक्ष रखेंगे. विपक्ष के लोग जिसकी बात कर रहे हैं हमलोग भी उसके पक्ष में हैं. ऐसे में विपक्ष बिना मतलब के सदन की कार्यवाही बाधित कर रहा है.”- विजय कुमार चौधरी, संसदीय कार्य मंत्री
क्या है मामला ? : दरअसल 21 नवंबर 2023 को राज्यपाल ने बिहार में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले को लेकर बिहार विधानमंडल से पारित 75 फीसदी आरक्षण के विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए थे. जिसके बाद राज्य में 75 फीसदी आरक्षण लागू हो गया था, लेकिन बाद में पटना हाई कोर्ट ने एक पीआईएल पर सुनवाई के बाद सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी थी. अब सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रखी है।