कोचिंग पढ़ने के लिए पास में नहीं था पैसा, सेल्फ स्टडी कर गरीब किसान का बेटा बना IAS अफसर

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प्रदीप का बैकग्राउंड बहुत ही साधारण है और उनकी परवरिश भी बहुत ही सिंपल हुई है. उनके पिता किसान हैं और मां गृहणी. प्रदीप ने शुरुआती पढ़ाई अपने होम टाउन से ही की और उसके बाद इंजीनियरिंग करने भोपाल चले गए. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट प्रदीप ने अभी तक सिविल सेवा के बारे में कोई योजना नहीं बनाई थी. इसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर कुछ समय नौकरी की. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में प्रदीप कहते हैं कि सिविल सेवा का ख्याल मन में आने पर भी केवल एक ही पद उनकी आंखों के सामने नाचता था, वो था आईएएस का. उन्होंने यह भी तय किया था कि अगर दो प्रयासों में सफल नहीं हुए तो आगे कोशिश नहीं करेंगे या फिर पहले कोई नौकरी ज्वॉइन करेंगे तब तैयारी करेंगे. प्रदीप की योजना के अनुसार उन्हें सफलता मिलने में एक अतिरिक्त वर्ष लगा।

प्रदीप को मन-मुताबिक सफलता मिलने में तीन साल लगे लेकिन उनका यूपीएससी में सेलेक्शन दूसरे साल में ही हो गया था. प्रदीप पहले अटेम्पट में असफल रहे और दूसरे में 491 रैंक के साथ पास हुए. उन्होंने इस रैंक के तहत मिली सेवा भी ज्वॉइन कर ली लेकिन तैयारी करते रहे. इसी के साथ प्रदीप ने साल 2018 में तीसरी बार परीक्षा दी और इस साल उनकी सालों की मेहनत रंग लाई और वे 74वीं रैंक के साथ आईएएस पद के लिए चयनित हो गए. प्रदीप अपनी सफलता का श्रेय मां-पिता के अलावा कुछ नजदीकी दोस्तों और सीनियर्स को भी देते हैं, जिन्होंने इस जर्नी के दौरान लगातर प्रदीप को सपोर्ट किया और सही रास्ता भी दिखाया।

बिना कोचिंग के हुए सफल

प्रदीप अपनी तैयारी के विषय में बात करते हुए कहते हैं कि पहले तो मेन्स और प्री परीक्षा को अलग-अलग न मानें, ये दोनों आपस में कनेक्टेड होते हैं. दूसरा मेन्स की तैयारी पहले शुरू करें, प्रदीप का मानना है कि मेन्स की तैयारी करेंगे तो प्री की अपने आप ही हो जाएगी. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिए किसी प्रकार की कोई कोचिंग नहीं ली थी और वे इसे जरूरी भी नहीं मानते. वे कहते हैं कि अगर आप एक ऐसी जगह से हैं जहां कोचिंग की सुविधा नहीं है तो बिलकुल परेशान न हों. इंटरनेट ने दुनिया इतनी छोटी कर दी है कि वहां से आप सभी प्रकार की सामग्री, गाइडेंस वगैरह पा सकते हैं. एक अच्छा इंटरनेट कनेक्शन आपके पास होना चाहिए और इंटरनेट के इस्तेमाल के समय सेलेक्टेड चीजें ही देखें।

जहां तक बात न्यूज पेपर सेलेक्शन की है तो इसमें आपकी पर्सनल च्वॉइस काम करती है. पेपर कैसे पढ़ना है इसको लेकर जरा भी परेशान न हों, धीरे-धीरे आप खुद सीख जाएंगे कि पेपर में क्या काम का है और क्या बेकार. पेपर का चुनाव अपनी इच्छा से करें।

सेल्फ स्टडी और रेग्यूलैरिटी ही दिलाते हैं सफलता

प्रदीप कहते हैं कि इस परीक्षा को पास करने के लिए सेल्फ स्टडी सबसे अहम रोल निभाती है. इसलिए दूसरों की मदद ले, कहीं कुछ समझ न आए तो इंटरनेट पर देखें या किसी सीनियर से बात करें लेकिन अंत में सेल्फ स्टडी पर ही भरोसा करें. इसके साथ ही दूसरा अहम बिंदु है रेग्यूलैरिटी यानी नियमित पढ़ाई. अगर आप रोज नहीं पढ़ेंगे तो सफलता के चांसेस कम हो जाएंगे. इसलिए तय शेड्यूल के हिसाब से रोज पढ़ाई करें. इसके अलावा लगातर टेस्ट देते रहिए, खुद को चेक करते रहिए और खुद को सुधारते भी रहिए. पंक्चुएलिटी इस परीक्षा में सफलता के लिए बहुत आवश्यक है. अंत में बस इतना ही कि हर पेपर को बराबर महत्व दें ताकि किसी में अच्छे नंबर न भी पाएं तो दूसरा उसे कवर कर ले. जो आपके हाथ में नहीं है उसके बारे में बिलकुल न सोचें पर जो आपके हाथ में है, उसे ठीक से करें. जैसे सही सोर्सेस का चुनाव, रेग्यूलैरिटी, सही डायरेक्शन आदि. अपनी जान लगा दें, एक दिन जरूर सफल होंगे।

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