NIA की विशेष अदालत (बेंगलुरु) ने बुधवार को अल-कायदा भारतीय उप-महाद्वीप (AQIS) के दो अत्यधिक कट्टरपंथी सदस्यों को दोषी ठहराया और 7 साल कैद की सजा सुनाई है। इन दोषियों पर कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया है। इस फैसले को आतंक के विरुद्ध NIA के निरंतर प्रयासों में एक बड़ी सफलता बताया जा रहा है। इन दोषियों पर आतंक और हिंसा के माध्यम से अपने भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने की योजना के आरोप थे।
इन लोगों को मिला सजा
एनआईए की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, असम के अख्तर हुसैन लस्कर उर्फ एमडी हुसैन और पश्चिम बंगाल के अब्दुल अलीम मंडल उर्फ एमडी जुबा पर एनआईए अदालत ने मामले में क्रमशः 41,000 रुपये और 51,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। एनआईए ने इस मामले में 30 अगस्त 2022 को आईपीसी की धारा 153ए, 1538, 1208, 121, 123ए, 114 और 511 और यूए (पी) अधिनियम, 1967 की धारा 10, 13, 15, 16, 18 और 20 के तहत मामला दर्ज किया था।
ऑनलाइन हैंडलर्स ने कट्टरपंथी बनाया
एनआईए की जांच के अनुसार, सजा पाने वाले दोनों दोषियों को AQIS यानी अल-कायदा भारतीय उप-महाद्वीप के विदेशी-आधारित ऑनलाइन हैंडलर्स द्वारा कट्टरपंथी बनाया गया था और भर्ती किया गया था। दोनों ही सदस्य सक्रिय रूप से AQIS की गतिविधियों को आगे बढ़ाने में लगे हुए थे। AQIS द्वारा भर्ती के बाद, ये लोग विभिन्न टेलीग्राम समूहों में शामिल हो गए थे।
भारत में जिहाद की थी योजना
NIA की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि ये दोनों की अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में जाने की साजिश रची थी। यहां वे प्रशिक्षण लेना चाहते थे। इसके अलावा दोषियों ने आतंक और हिंसा के माध्यम से अपने भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए AQIS की साजिश के तहत खुरासान में प्रशिक्षण लेने के बाद भारत में एक विशेष समुदाय के सदस्यों के खिलाफ जिहाद करने की योजना बनाई थी। दोनों अन्य युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और AQIS में भर्ती करने की प्रक्रिया में भी थे।