बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट एक बार फिर से तेज हो गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अचानक से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फोन किया. इसके कुछ घंटों बाद ही शुक्रवार को उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को सीएम नीतीश द्वारा बुलाकर उनसे बात की गई. इन घटनाक्रमों के बाद सियासी कयासबाजी का दौर तेज है. वहीं राजद और कांग्रेस जैसे दलों में मंत्रिमंडल विस्तार होने की स्थिति में कौन मंत्री बनेगा इसके लिए लॉबिंग का दौर भी शुरू हो चुका है. माना जा रहा है कि सीएम नीतीश जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अंतिम निर्णय लेंगे. ऐसे में जिन नेताओं के मंत्री बनने की संभावना है वे अपने लिए फील्डिंग में जुट गए हैं।
243 सदस्यों वाले बिहार विधानसभा में कुल 15% यानी की मुख्यमंत्री समेत कुल 36 मंत्री हो सकते हैं. मौजूदा स्थिति के मुताबिक, फिलहाल नीतीश मंत्रिमंडल में 15 मंत्री आरजेडी कोटे से है, नीतीश कुमार समेत 13 मंत्री जनता दल यूनाइटेड कोटे से है, 2 मंत्री कांग्रेस कोटे से हैं और 1 मंत्री सुमित सिंह निर्दलीय है, यानी कि कल इस वक्त बिहार सरकार में 31 मंत्री हैं और 5 और को मंत्री बनाया जा सकता है. दरअसल, अगस्त 2022 में जब नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन सरकार बनाई थी तब राजद कोटे से 17 मंत्री बनाए गए थे. बाद में अलग अलग कारणों से कार्तिक सिंह और सुधाकर सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
मौजूदा समय में जहां बिहार सरकार में 31 मंत्री हैं वही 5 और लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है. ऐसे में सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार में राजद से दो मंत्री बनाया जाना है और कांग्रेस भी दो मंत्री पद की मांग काफी लंबे समय से कर रही है. माना जा रहा है कि राजद कोटे से जिन लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है उसमें जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की जाएगी. कार्तिक सिंह और सुधाकर सिंह क्रमशः भूमिहार और राजपूत जाति से आते हैं. इन दोनों ने मंत्री पद छोड़ा था. संभव है राजद की ओर से इन्हीं दो जातियों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाए. इससे राजद और तेजस्वी जिस ए टू जेड की बात अपनी पार्टी में करते हैं उस जातीय समीकरण को साकार किया जा सकता है।
वहीं कांग्रेस के बिहार में 19 विधायक हैं. कांग्रेस से फ़िलहाल दो मंत्री हैं. कांग्रेस की मांग रही है कि उनके दल से दो और लोगों को मंत्री बनाया जाए. इसके लिए पार्टी के कई नेता अपनी लॉबिंग कर रहे हैं. कांग्रेस भी मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान जिन लोगों को मंत्री बनाएगी उसमें जातीय समीकरण को साधना सबसे अहम होगा. पार्टी इसी बहाने लोकसभा चुनाव 2024 के पहले उन जातियों और वर्गों को बड़ा संदेश देना चाहेगी जिस पर वोट के लिहाज से उसकी नजर है।
राहुल गांधी के फोन के बाद अब नीतीश कुमार और तेजस्वी में हुई मुलाकात से की नतीजा निकलता है, यह बेहद अहम होगा. विशेषकर 29 दिसम्बर को होने वाले जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कोई फैसला सीएम कर सकते हैं।