मद्रास हाई कोर्ट ने कस्टडी के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि 10 साल से कम उम्र के बच्चों की सही देखभाल सिर्फ मां ही कर सकती है। इसलिए किसी पति-पत्नी के अलग होने पर ऐसे बच्चों की कस्टडी सिर्फ पत्नी को मिलनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मां से अच्छी देखभाल मां से बेहतर और कोई नहीं कर सकता है।
मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस आर. सुब्रमण्यन और जस्टिस डी.नागार्जुन की बेंच ने आठ साल की बच्ची की कस्टडी से जुड़े मामले परसुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से पिता अपनी बेटी के बिना अमेरिका में खुशी से रह रहा था। उसने बच्ची को अपने बुजुर्ग मां-बाप के पास मुंबई में छोड़ दिया था। बच्ची का हित इसी में है कि वह अपनी मां के साथ रहे। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि पिता चार हफ़्तों के अंदर बच्ची को मां की कस्टडी में सौंप दे।
जानिए क्या था मामला?
दरअसल स्टालिन सैमुअल की साल 2014 में ग्रेसी सिल्विया से शादी हुई थी। शादी के बाद वे कुछ दिन तो मुंबई में रहे और इसके बाद वह अमेरिका चले गए। शादी के लगभग एक साल बाद उन्हें बेटी हुई। लेकिन इसके कुछ ही साल बाद दोनों का तलाक हो गया और बरती की कस्टडी पिता को मिल गई। कुछ समय तो उसने बेटी को अपने साथ रखा लेकिन बाद में वह अपने मां-बाप के पास छोड़कर खुद विदेश चला गया।
2020 में बेटी को अपने साथ अमेरिका ले जाना चाह रहा था पिता
इसी दौरान साल 2020 वह अपनी बेटी को अपने साथ अमेरिका ले जा रहा था, लेकिन तमिलनाडु की एक कोर्ट ने उसे बेटी को अमेरिका ले जाने से रोक दिया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में बताया कि इस वजह से उसे अपनी बेटी को अपने मां-बाप के साथ छोड़ना पड़ा। उसने कोर्ट को बताया कि कुछ दिनों बाद उसने बेटी की देखभाल करने के लिए अमेरिका में नौकरी छोड़ दी और मुंबई में आकर नौकरी करने लगा।
हालांकि इसी बीच पिछले साल 2022 में राज्य के सलेम कोर्ट ने एक आदेश देते हुए उससे कहा कि वह बेटी की कस्टडी मां को सौंप दे। इसके बाद स्टालिन ने सलेम कोर्ट के इस फैसले को मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन यहां से भी उसे निराशा हाथ लगी। अब हाई कोर्ट ने भी उसे चार हफ्तों के अंदर बच्ची की कस्टडी मां को सौंपने का आदेश दिया है।