कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी के रामलला प्राण प्रतिष्ठा में ना जाने से बवाल मचा हुआ है। बीजेपी समेत कई ने दल इस फैसले को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के ही कई नेता पार्टी आलाकमान के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। वहीं अब इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि इस बारे फालतू का विवाद किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जो भी आस्था रखते हैं वो किसी भी दिन अयोध्या जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कि कांग्रेस बीजेपी की साजिश में आने वाली नहीं है और बेरोजगारी के मुद्दे को उठाती रहेगी। खरगे ने कहा कि उन्हें प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए जो निमंत्रण मिला है वो व्यक्तिगत था और वह इस बारे में बात करेंगे। उनका कहना था, ‘‘जो आस्था रखने वाले लोग हैं, वो आज, कल या परसो, जब चाहें अयोध्या जा सकते हैं। मैंने यह बात पहले ही स्पष्ट की थी यह भाजपा की एक साजिश है और वह इस विषय को लेकर बार-बार वार रही है।’’
‘उनकी पार्टी ने किसी धर्म या धर्मगुरु को कभी दुख नहीं पहुंचाया’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी ने किसी धर्म या धर्मगुरु को कभी दुख नहीं पहुंचाया है। खरगे ने कहा, ‘‘हमारे मुद्दे केवल ये हैं कि मोदी सरकार ने बेरोज़गार युवाओं के लिए क्या काम किया, महंगाई के बारे में क्या कदम उठाए ? सीमा पर चीनी घुसपैठ पर क्या बोले?’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘हमें दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्ग और समाज के ग़रीब तबके की चिंता है, जो बीजेपी को नहीं है।’’
वहीं इससे पहले कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने भी आलाकमान पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का न्योता ठुकराना कांग्रेस पार्टी को बहुत भारी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ने मंदिर का ताला खुलवाया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने राम मंदिर न्यास को 46 एकड़ जमीन देने की बात कही। यहां तक सब ठीक था, लेकिन इसके बाद वीर बहादुर सिंह सीएम पद से हट गए और राजीव गांधी की हत्या हो गई।
जिन्होंने लड़ाई लड़ी, अब वही फैसले ले रहे
इसके बाद राम मंदिर की लड़ाई को पूरे देश के साधू-संतों ने लड़ी। इसमें बुद्धिजीवी वर्ग के लोग, राजनीतिक दल समेत कई लोग शामिल हुए और इस लड़ाई को लड़ा। इन्होने कोर्ट में लड़ाई लड़के जीती और मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया। अब मंदिर को लेकर निर्णय वही लोग करेंगे। कांग्रेस पार्टी के निमंत्रण ठुकराने को लेकर लक्ष्मण सिंह ने कहा कि इससे हम क्या संदेश दे रहे हैं? राजीव गांधी ने मंदिर का ताला खुलवाया था तो आप कौन हैं मना करने वाले?
चुनाव में दिखेगा न्योता ठुकराने का परिणाम
उन्होंने कहा कि आलाकमान ने कुछ ऐसे सलाहकार रखे हुए हैं, जिन्होंने यह फैसला करवाया है। इससे फायदा कुछ नहीं बल्कि नुकसान ही होगा। चुनावों में अभी तक जैसे फैसले आ रहे थे, वैसे ही आएंगे। वहीं फैसले के पुनर्विचार को लेकर लक्ष्मण सिंह ने कहा कि अब जो नुकसान होना था, वह हो गया है। अब फैसला बदल भी लेने से कोई फायदा नहीं होगा। अब कांग्रस पार्टी को आगामी चुनावों में इसका परिणाम भुगतना होगा।