बिहार सरकार लैंड सर्वे करा रही है. दावा किया जा रहा है कि इससे भूमि विवादों का निपटारा हो जायेगा. लेकिन अब लैंड सर्वे की हकीकत देखिये. जमीन से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए सरकार की ओर से तैनात की गयी अधिकारी भूमि विवाद और दाखिल खारिज के साढ़े सात सौ से ज्यादा फाइल लेकर ही भाग गयी. सिर्फ कागजात ही लेकर नहीं भागी बल्कि ऑफिस से कंप्यूटर औऱ प्रिंटर भी ले भागी. ताकि ऑफिस में कोई रिकार्ड न रहे. ये वाकया सरकार की नाक के नीचे पटना में हुआ है. पटना के डीएम ने इसकी जांच पड़ताल के बाद सरकार से सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है.
पटना के DCLR का कारनामा
बिहार सरकार ने पटना सदर में भूमि सुधार उप समाहर्ता यानि DCLR के पद पर मैत्री सिंह नाम की अधिकारी को तैनात कर रखा था. इसी साल 22 अक्टूबर को उनका ट्रांसफर कर दिया गया था. मैत्री सिंह के ट्रांसफर के बाद जब जमीन से संबंधित विवाद को लेकर आम लोग डीएम कार्यालय का चक्कर काटने लगे तो मामले की कलई खुली. करीब एक महीने बाद पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने उनके कारनामे की जानकारी सरकार को देते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की है.
बता दें कि भूमि सुधार उप समाहर्ता जमीन से संबंधित मामलों में बेहद अधिकारी होती है. सीओ के स्तर पर दाखिल खारिज से लेकर भूमि विवाद के मामलों में लिये गये फैसले को भूमि सुधार उप समाहर्ता के पास ही चुनौती दी जाती है. सरकार के मौजूदा लैंड सर्वे में भी भूमि सुधार उप समाहर्ता का पद बेहद महत्वपूर्ण है.
पटना डीएम का सरकार को पत्र
पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने राज्य सरकार को तत्कालीन भूमि सुधार उप समाहर्ता मैत्री सिंह के कारनामे की जानकारी दी है. डीएम ने भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि पटना सदर की तत्कालीन भूमि सुधार उप समाहर्ता मैत्री सिंह अपने ट्रांसफर के बाद भी डीसीएलआर कोर्ट के कागजात औऱ फाइल को अपने साथ लेकर चली गयीं. डीएम ने कहा है कि इस मामले की शिकायत मिलने के बाद पटना सदर के एसडीएम को मौजूदा भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर के साथ संयुक्त रूप से जाँच कर जाँच प्रतिवेदन अविलंब उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.
बैकडेट में आर्डर करने के लिए फाइल लेकर भागी
डीएम ने अपने पत्र में लिखा है कि उनके जनता दरबार में कई लोगों ने आकर ये शिकायत की थी कि तत्कालीन भूमि सुधार उप समाहर्ता यानि डीसीएलआर मैत्री सिंह कई महत्वपूर्ण कागजात और फाइलें लेकर चली गयी हैं. पटना के एसडीएम ने इस मामले की जांच की तो आऱोप सही पाया गया. एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा कि मैत्री सिंह इसलिए फाइलें लेकर भागी कि वह बैकडेट में जमीन विवाद से संबंधित मामले में आदेश लिख सके.
डीएम की रिपोर्ट के मुताबिक जब मामला फंस गया और जांच शुरू हो गयी तो मैत्री सिंह ने कुछ फाइलें अज्ञात व्यक्ति के जरिये भिजवायी. 14 एवं 15 नवम्बर 2024 को दाखिल खारिज अपील विवाद से संबंधित 255 अभिलेख और भूमि विवाद से संबंधित 28 अभिलेख अज्ञात व्यक्ति के माध्यम से पटना सदर के डीसीएलआर यानि भूमि सुधार उप समाहर्ता कार्यालय को वापस किया गया.
अभी भी करीब 500 फाइल गायब
पटना डीएम ने सरकार को लिखे गये पत्र में कहा है कि जांच के दौरान ये पाया गया है कि दाखिल-खारिज अपील विवाद के 451 अभिलेख और भूमि विवाद के 36 अभिलेख अभी भी मिसिंग हैं. जाँच पदाधिकारी ने डीसीएलआर ऑफिस में लगाये गये सामानों की जांच की तो पाया कि मैत्री सिंह ऑफिस में लगे कम्प्यूटर, प्रिंटर, श्रेडर मशीन एवं दूसरे सामान को भी अपने साथ लेकर चली गयीं. ये सरकारी नियम के विरूद्ध है और कदाचार की श्रेणी में आता है. ये काम किसी सरकारी सेवक के आचरण के प्रतिकूल है.
पटना डीएम ने इस पूरे मामले की जानकारी सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव को देते हुए कहा है कि स्थानान्तरण के बाद गलत मंशा से न्यायालय अभिलेख एवं कार्यालय सामग्री अपने साथ ले जाने के लिए मैत्री सिंह के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है.