Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

ये दर्द पुराना है! एक बार फिर बेघर हो गए कोसी क्षेत्र के लोग, बोरिया-बिस्तर लेकर ढूंढ रहे ठिकाना

GridArt 20240716 162740904 jpg

सहरसाः साल 1987 की एक फिल्म है आयी थी ‘महानंदा’, इसमें एक गाना था ये दर्द पुरानी है. वर्तमान में बिहार के हालात देखकर ऐसा ही लगता है. यह पहली बार नहीं है जब कोसी अपना रौद्र रूप दिखा रही है. हर साल इस नदी में ना जाने कितने लोगों का आशियाना समा जाता है. लोग घर से बेघर हो जाते हैं. इसबार भी बिहार के सैंकड़ों घरों को कोसी ने अपने आगोश में समेट लिया।

सैंकड़ों लोगों का घर कोसी में समायाः सहरसा में भी यही नजारा देखने को मिल रहा है. कोसी नदी में बढते जलस्तर के कारण जिले के नवहट्टा प्रखंड अंतर्गत रसलपुर, बिरजेन, कुंदह, झारवा, बकुनियां, सहित तटबंध के अंदर बसे दर्जनों गांव में पानी घुसा गया है. सैंकड़ों का घर कोसी नदी में समा रहा है. ग्रामीण डरे सहमे हैं. अपना सामान समेट कर ऊंचे स्थान पर जा रहे हैं. लोग अपने घर का चौखट, छप्पर, बिछवान, बक्सा आदि लेकर या तो बांध या फिर ऊंचे स्थान पर आशियाना बना रहे हैं।

बाढ़ पीड़ित तक नहीं पहुंच रही मददः हर साल बाढ़ आने से पहले बिहार सरकार आपदा से निपटने के लिए बैठकें करती हैं. बाढ़ पीड़ित को राहत पहुंचाने के लिए तैयारी करती है. अधिकारियों को निर्देश देती है लेकिन स्थानीय स्तर पर यह सफल नहीं हो पाता है. हर साल कुछ ऐसे क्षेत्र देखने को मिलते हैं जहां तक लोगों को राहत नहीं पहुंच पाती है. ऐसा ही नजारा नवहट्टा प्रखंड में देखने को मिला।

सिर ढ़कने के लिए प्लास्टिक भी नहीं मिलाः कोसी नदी में घर समा जाने के बाद विद्यानंद यादव बांध पर आकर बसने की तैयारी करते दिखे. उन्होंने बताया कि उनके गांव के कई घर कोसी नदी में समा गया. नदी में काफी तेज कटाव हो रही है. उनका घर बर्बाद हो गया. जल्दी में जो सामान जुटा पाए वह लेकर आ गए और बाकी सब नदी में बह गया. उन्होंने कहा कि अब तक सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. सिर ढ़कने के लिए प्लास्टिक तक नहीं मिला है।

“कोशी नदी में हमलोगों का घर कट गया है. मेरे साथ-साथ बहुत लोगों का घर कट गया है. काफी परेशानी हो रही है. हमलोग गांव से भागकर ऊंचे स्थान पर आए हैं और छोटा घर बना रहे हैं. किसी तरह अपना गुजर बसर करेंगे. सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है.” -विद्यानंद यादव, बाढ़ पीड़ित

‘सरकार कोई मदद नहीं कर रही’: कोसी नदी में घर कटने के बाद बांध पर शरण लेने वाली रामसती देवी ने बताया कि उनलोगों का घर कोसी नदी में समा गया है. अभी हमलोग बांध पर बसने के लिए आए हैं. सरकार कोई मदद नहीं कर रही है. ना प्लास्टिल दे रही है ना ही कोई सामान दे रहा है. किसी तरह खुद से व्यवस्था कर रहे हैं. अब यहीं रहना पड़ेगा।

नया घर कोसी में समा गयाः बाढ़ पीड़िता महिला आशा देवी का तो नया घर नदी में समा गया. पीड़ा बताते हुए उसके आंख भर आए. उसने कहा कि घर बनाए थे लेकिन अब वह कोसी नदी में बह गया है तो क्या करें? सरकार कोई मदद नहीं कर रहा है. अभी हमलोग बांध पर बसने के लिए आए हैं. अब इसी तरह रहना पड़ेगा. स्थानीय लोगों ने अपनी पीड़ा बताते हुए स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है।

कोसी नदी की स्थिति क्या है? कोसी नदी की वर्तमान स्थिति की बात करें तो नेपाल में बारिश के कारण लगातार जलस्तर बढ़ रहे हैं. सहरसा, सुपौल और मधेपुरा, कटिहार, किशनगंज जिलों में इसका असर देखने को मिल रहा है. नेपाल में बारिश के कारण लगातार कोसी बराज से पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है. कोसी के सभी 56 गेट को खोल दिए गए हैं. यही कारण है कि नदी के आसपास जिलों में बाढ़ का पानी घुस गया है।

कोसी नदी को बिहार का शोक क्यों कहा जाता है? : बता दें कि कोसी तटबंध से सटे 300 गांव बसे हुए हैं. जब जब नदी में जलस्तर बढ़ता है सबसे पहले ये 300 गांव प्रभावित होती है. बाढ़ आने पर ये सारे घर डूब जाते हैं. 300 घर के परिवार को सड़क पर जिंदगी गुजारनी पड़ती है. यह तबाही का मंजर हर साल देखने को मिलता है. यही कारण है कि इसे बिहार का शोक कहा जाता है।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading