144 साल के बाद इस बार पूर्ण महाकुंभ
भागलपुर। इस बार पूर्ण महाकुंभ लग रहा है। ऐसा अवसर 144 साल बाद आया है। 144 साल बाद बनने वाले पूर्ण महाकुंभ का यह संयोग शुभ फल और आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर आएगा। महाकुंभ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में श्रद्धा, धर्म और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ 13 जनवरी और समापन 26 फरवरी को होगा। जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होता है, लेकिन जब 12 के 12 चरण पूरे होते हैं, तो इसे पूर्ण महाकुंभ कहा जाता है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस महाकुंभ में ग्रहों की स्थिति और धार्मिक संयोग अत्यंत शुभ होंगे। यह आयोजन 13 जनवरी पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा।
इस साल महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है, जिससे त्रिवेणी के संगम में मेले का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन प्रयागराज में होता है और लाखों लोगों का इस स्थान पर जमावड़ा लगेगा। तिलकामांझी चौक स्थित महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा ने बताया कि हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कुंभ मेला हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है, जो उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। कुंभ मेला एक स्थान पर प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित होता है। इस प्रकर यह मेला इन चार पवित्र स्थलों पर प्रत्येक तीन वर्षों में लगता है। इसे ‘पूर्ण कुंभ’ कहा गया और सामान्य रूप इसे ‘कुंभ मेला’ कहते हैं। लेकिन साल 2025 में प्रयागराज में लगने वाला कुंभ मेल एक महाकुंभ है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब-जब उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयागराज में 12 पूर्णकुंभ मेलों का आयोजन हो जाता है, तब एक ‘महाकुंभ’ का आयोजन होता है। गणितीय भाषा में कहें तो महाकुंभ का आयोजन प्रत्येक 144 साल पर होता है।
महाकुंभ स्नान का है महत्व
कुपेश्वरनाथ मंदिर के पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि महाकुंभ स्नान का महत्व है। आत्मा की शुद्धि, सामाजिक एकता और आध्यात्मिक जागरण का यह पर्व है। यह भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की गहराई और व्यापकता को दर्शाता है। प्रयागराज का महाकुंभ भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत संगम है।
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