चार शुभ योग में इस बार सरस्वती पूजा तीन फरवरी को मनेगा। हालांकि पंचमी तिथि दो फरवरी को दोपहर 12:04 बजे पर प्रवेश कर रहा है और समापन तीन फरवरी को सुबह 9:49 बजे समाप्त होगा। उदया तिथि के मान होने के कारण मां सरस्वती की प्रतिमा तीन फरवरी को बेदी पर विराजमान होंगी। जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि वसंत पंचमी हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था। इसलिए वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा करते हैं। वसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दिन 4 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इतना ही नहीं, वसंत पंचमी के दिन महाकुंभ का अमृत स्नान भी होगा। पंचांग के अनुसार, इस साल माघ शुक्ल पंचमी तिथि का शुभारंभ 2 फरवरी दिन दोपहर 12: 04 बजे से होगा। यह तिथि 3 फरवरी दिन बुधवार को सुबह 9. 49 बजे खत्म होगी। ऐसे में वसंत पंचमी 3 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, शिव योग, उत्तर भाद्रपद नक्षत्र व रेवती नक्षत्र का संयोग बन रहा है। उन्होंने बताया कि वसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना गया है। शीत ऋतु की समाप्ति के बाद वसंत का आगमन होता है। वसंत पंचमी के समय पूरी धरती सरसों के पीले फूलों से बहुत ही सुंदर दिखती है। वसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और देवी सरस्वती की पूजा करते हैं।
प्रतिमा का हो रहा निर्माण
मां सरस्वती की प्रतिमा का निर्माण कई जगहों पर हो रहा है। अंबे के मूर्तिकार रंजीत पंडित ने बताया कि अंबे, खंजरपुर, बूढ़ानाथ आदि कई जगहों पर प्रतिमाएं तैयार हो रही है। इस बार जो प्रतिमा बन रही है उसमें मां सरस्वती कहीं कमल के फूल तो कहीं सिंघासन पर विराजमान है। उनके द्वारा कई जगहों की प्रतिमा बनाई जा रही है।
तीन करोड़ का होगा कारोबार
सरस्वती पूजा को लेकर बाजार में कुछ दिन के बाद चहल-पहल बढ़ जायेगी। आर्थिक मामलों के जानकार सीए प्रदीप कुमार झुनझुनवाला ने बताया कि एक दिन की पूजा में तीन करोड़ का बाजार होने की संभावना है। लोगों सबसे अधिक प्रतिमा, लाइटिंग व पंडाल पर खर्च करते हैं। इसके बाद पूजन-सामग्री, फल-फूल व मिठाई की अच्छी बिक्री होती है। कई जगहों पर खिचड़ी का भोग लगता है। उधर पंडाल कारोबार से जुटे अभय घोष सोनू ने बताया कि पंडाल व लाइटिंग की बुकिंग शुरू हो चुकी है।