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1970 के बाद इस साल जून-अगस्त रहा सबसे अधिक गर्म

ByKumar Aditya

सितम्बर 19, 2024
heat wave

अमेरिका स्थित जलवायु विज्ञानियों की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 1970 के बाद इस साल जून से अगस्त तक दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा। इस दौरान देश की एक तिहाई से अधिक आबादी ने कम-से-कम सात दिन खतरनाक गर्मी का सामना किया।

‘क्लाइमेट सेंट्रल’ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इन तीन महीनों के दौरान 29 दिन तापमान संभवत: तीन गुना अधिक महसूस किया गया। जून से अगस्त 2024 तक का समय भारत में 1970 के बाद से दूसरा सबसे गर्म मौसम था, जबसे विश्वसनीय उपग्रह रिकार्ड उपलब्ध हैं।

भारत में पड़ी काफी अधिक गर्मी

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि में दक्षिण एशिया में ज्यादा गर्मी की मार झेलने वाले सबसे अधिक लोग भारत के थे। 2.05 करोड़ से अधिक लोग 60 दिन तक बढ़े तापमान से प्रभावित हुए। विज्ञानियों ने कहा कि 42.6 करोड़ से अधिक लोगों (भारत की लगभग एक तिहाई आबादी) को उनके इलाकों में कम-से-कम सात दिनों तक भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा। इस दौरान तापमान सामान्य से 90 प्रतिशत से अधिक हो गया था।

भारत के कई शहरों में तापमान काफी अधिक दर्ज किया गया

वैश्विक स्तर पर दो अरब से अधिक लोगों (विश्व की आबादी का 25 प्रतिशत) ने 30 या अधिक दिनों तक अत्यधिक गर्मी का अनुभव किया, जो कि संभवत: जलवायु परिवर्तन के कारण तीन गुना अधिक हो गई। भारत के कई शहरों में तापमान काफी अधिक महसूस किया गया। तिरुअनंतपुरम, वसई-विरार, कावारत्ती, ठाणे, मुंबई और श्री विजयपुरम (पोर्ट ब्लेयर) जैसे शहर सबसे अधिक प्रभावित हुए। इनमें से प्रत्येक में 70 से अधिक दिनों तक तीन गुना ज्यादा गर्मी पड़ी।

मुंबई में 54 दिन भीषण गर्मी दर्ज की गई। दिल्ली और कानपुर में लंबे समय तक खतरनाक गर्मी महसूस की गई और औसत तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ में विज्ञान विभाग के उपाध्यक्ष एंड्रयू पर्शिंग ने कहा कि भीषण गर्मी स्पष्ट रूप से जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। इसने उन तीन महीनों के दौरान दुनियाभर के अरबों लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया।

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव देशभर के लोगों और व्यवसायों पर

क्लाइमेट एंड सस्टेनेबिलिटी इनिशिएटिव के कार्यकारी निदेशक वैभव प्रताप सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव देशभर के लोगों और व्यवसायों पर साफ दिख रहे हैं। हर साल हम बाढ़, सूखा और लू जैसी गंभीर जलवायु संबंधी घटनाओं का सामना कर रहे हैं। ये जीवन और आजीविका को खासा नुकसान पहुंचा रही हैं।