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इस युवक के पास एक रुपये की भी संपत्ति नहीं लेकिन 20 से ज्यादा बार लड़ चुका है चुनाव, इस बार भी भरा नामांकन

ByKumar Aditya

नवम्बर 6, 2023
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राजस्थान में विधानसभा चुनाव का खुमार लोगों के सिर पर चढ़ा हुआ है। हर नुक्कड़ और चौराहे पर चुनावी चर्चा हो रही है। उम्मीदवार अपना नामांकन करा रहे हैं। इसी बीच गंगानगर जिले की करनपुर विधानसभा से एक ऐसा पर्चा दाखिल हुआ, जिसे देखकर हर कोई भौचक्का रह गया। दरअसल इस शख्स ने अपने चुनावी हलफनामे में बताया कि उसके पास एक रुपए की भी संपत्ति नहीं है। वहीं जमा पूंजी के नाम पर 2500 रुपए की नकदी है। इसके अलावा उसके पास और कुछ नहीं है।

मनरेगा में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं तीतर सिंह 

यह कोई और नहीं बल्कि करणपुर विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव में रहने वाले और मनरेगा में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले बुजुर्ग तीतर सिंह हैं। यह अब तक 20 से ज्यादा बार चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि इन्हें एक बार भी सफलता नहीं मिल सकी है। तितर सिंह ने पंच, सरपंच और विधानसभा से लेकर लोकसभा तक हर चुनाव लड़ा है। हार तय है तो चुनाव क्यों लड़ते हैं? यह पूछने पर तीतर सिंह ने बुलंद आवाज में कहा,‘‘क्यों न लड़ें। सरकार जमीन दे, सहूलियतें दें… साडी हक दी लड़ाई है ये चुनाव।’’

पिछले कई वर्षों से लड़ रहे हैं चुनाव 

राजस्थान के करणपुर विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव ‘25 एफ’ में रहने वाले तीतर सिंह पर चुनाव लड़ने का जुनून सत्तर के दशक में तब सवार हुआ, जब वह जवान थे और उन जैसे अनेक लोग नहरी इलाकों में जमीन आवंटन से वंचित रह गए थे। उनकी मांग रही कि सरकार भूमिहीन और गरीब मजदूरों को जमीन आवंटित करे। इसी मांग और मंशा के साथ उन्होंने चुनाव लड़ना शुरू किया और फिर तो मानों उन्हें इसकी आदत हो गयी। एक के बाद, एक चुनाव लड़े। हालांकि व्यक्तिगत स्तर पर जमीन आवंटित करवाने की उनकी मांग अब भी पूरी नहीं हुई है और उनके बेटे भी दिहाड़ी मजदूरी ही करते हैं।

10 बार लड़ चुके हैं लोकसभा और विधानसभा के चुनाव 

तीतर सिंह ने बताया कि वह अब तक लोकसभा के दस, विधानसभा के दस, जिला परिषद डायरेक्टर के चार, सरपंची के चार व वार्ड मेंबरी के चार चुनाव लड़ चुके हैं। नामांकन पत्र के साथ दाखिल हलफनामे के अनुसार, इस समय उनकी उम्र 78 साल है। उन्होंने बताया कि उन्हें 2008 के विधानसभा चुनाव में 938, 2013 के विधानसभा चुनाव में 427, 2018 के विधानसभा चुनाव में 653 वोट मिले थे। विधानसभा के सभी चुनावों में उनकी जमानत भी जब्त हो चुकी है, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने जज्बा नहीं हारा और इस बार भी निर्दलीय नामाकंन दाखिल किया है।


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