Success StoryMotivationTrending

वो होनहार जो गरीबी को मात देकर बने जज, किसी के पिता पान बेचते हैं, कोई खुद लगाता था ठेला

कामयाब होने के लिए मेहनत से पहले हिम्मत की जरूरत होती है. एक मेहनती इंसान बिना हिम्मत के लक्ष्य को कठिन समझ हार मान लेता है. बात जब पढ़ाई की आती है तब इस हिम्मत की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है. बहुत से छात्र ऐसे भी होते हैं जिन्हें इस दौरान पढ़ाई के साथ साथ अपने हालातों से भी लड़ना पड़ता है. ऐसे समय में हिम्मत ही इनके लिए सबसे बड़ा हथियार होती है. आज हम आपको ऐसे ही हिम्मती लोगों की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिन्होंने हालातों से लड़कर सफलता पाई और गरीबी को हरा कर जज बने.

1. निशी गुप्ता: पिता पान बेचते हैं

UPPSC PCS J Nishi Gupta 64f0571778c3c

कानपुर की निशी गुप्ता ने बचपन से जज बनने का सपना देखा. लेकिन घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी. उनके पिता शहर में पान की दुकान चलाते हैं. इसके बावजूद पिता ने हमेशा बेटी के सपनों को पंख दिए और मेहनत कर के उसे पढ़ाते रहे. इसके बदले में निशी गुप्ता ने अपने माता-पिता को गर्व करने की वजह दी. उन्होंने पीसीएस जे 2022 में पूरे प्रदेश में टॉप किया. इंटर पास माता-पिता की इस बेटी ने अपने पहले ही प्रयास में स्टेट टॉप कर लिया.

2. मोहम्मद कासिम: खुद लगाते थे ठेला

b11bb8dc 0fb9 470c a4ac 6396e1c0b9c6 1693619931769 64f80c84b1e28

ये कहानी संभल के नखासा थाना इलाके के रुकनुद्दीन सराय निवासी 29 वर्षीय मोहम्मद कासिम की है. जिहोंने यूपी लोक सेवा आयोग की ज्यूड‍िश‍ियल परीक्षा में बाजी मारकर 135 वी रैंक हासिल किया. कासिम के पिता रोड किनारे ठेला लगाते हैं. उन्होंने मेहनत से कासिम को पढ़ाया. उन्हें इस बात का हमेशा से यकीन था कि कासिम पढ़ जाएंगे तो घर परिवार के साथ ही आसपास की भी सूरत बदलेगी क्योंकि इलाका शिक्षा में काफी पिछड़ा हुआ है.

कासिम सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान स्कूल से भाग कर अधिकतर समय पिता के ठेले पर बिताते थे. वहां वह प्लेट धोकर उनका हाथ बटाते थे. जूठी प्लेटें धोने ने बाद उन्होंने हलीम बेचने का काम भी शुरू किया. आज ठेला लगाकर हलीम बेचने वाले कासिम जज बन गए हैं.

3. जाह्नवी वर्मा: पिता किसान हैं

696ca8de ea9c 439f bd49 ccd8a2ba35b1 1693475897818 64f0735dd3d9f

पहले ही प्रयास में टॉप-10 में जगह बनाने वाली जाह्नवी ने UP PCS J 2022 परीक्षा में पांचवीं रैंक प्राप्त की. अपने पूरे जिले का नाम रोशन करने वाली जाह्नवी के पिता एक किसान हैं. जाह्नवी इससे पहले सहायक अभियोजन अधिकारी के पद पर चयनित हुई थी. जज बनना उनका सपना था जिसे उन्होंने पूरा कर लिया है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलएम करने के बाद वह अपने इस सपने को साकार करने जुट गई थीं.

4. रूबी: झुग्गी में रहने वाली लड़की

2020 02 15 5e48e7bd47727 64f9c817c2913

पानीपत के जीटी रोड की अनाजमंडी के पास झुग्गी में रहने वाली रूबी ने जज बन कर सबको हैरान कर दिया था. उन्होंने झारखंड पीसीएस- जे में 52वीं रैंक प्राप्त की थी. जिसके बाद उनका जज बनने का सपना पूरा हो गया. चार बहनों में सबसे छोटी रुबी की उम्र कम ही थी जब उनके पिता की मौत हो गई थी. परिवार धागा बनाकर जीवन यापन करता था लेकिन रुबी अफ़सर बनना चाहती थीं. उन्होंने पहले इंग्लिश से एम की और UPSC की तैयारी शुरू की. लेकिन, वह सफ़ल नहीं हुईं.

इसी बीच प्रशासन ने कच्चे मकानों को गिराने का अभियान शुरू कर दिया. इस दौरान रूबी का घर 16 बार टूटा. जिसके बाद वह कई बार फुटपाथ पर बैठकर पढ़ने के लिए भी मजबूर हुईं. लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी. आखिरकार सिलि जज (जूनियर डिविजन) में उन्हें 52वीं रैंक हासिल हुई.

5. सोनल शर्मा: पिता ने दूध बेच पढ़ाया

sonal sharma 5ff2fd81bae17

उदयपुर के एक दूध बेचने वाले की बेटी सोनल शर्मा ने साल 2018 में राजस्थान न्यायिक सेवा (RJS) परीक्षा पास की और जज बनीं. 26 वर्षीय सोनल ने बचपन से ही एक गौशाला में पढ़ाई की. बाधाओं के बावजूद वह BA, LLB और LLM की परीक्षा में प्रथम स्थान पर रही थीं. आर्थिक तंगी के कारण सोनल ट्यूशन या महंगी अध्ययन सामग्री का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थी. अपनी साइकिल से कॉलेज जाती थीं.उनके माता-पिता ने उसकी शिक्षा के लिए क़र्ज़ लिया. लेकिन जब सोनल जज बनीं तो उनके माता-पिता की सारी मेहनत सफल हो गई.

6. आयशा फरहीन: पिता की होनहार बेटी

Untitled design 2020 12 26T102749459 5fe6c394c36dd 64f9c8ce7ca7c

रुड़की की रहने वाली आयशा फरहीन के पिता एक वकील के यहां मुंशी का काम देखते थे. उनके पिता शराफत अली को तब गर्व महसूस हुआ जब उनकी बेटी पहले प्रयास में ही न्यायिक परीक्षा पास कर, जज बन गईं. पीसीएस-जे की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली आयशा ने बीएसएम कॉलेज से बीए और लॉ की पढ़ाई की और फिर एएमयू से एलएलएम करने के बाद प्रयागराज में परीक्षा की तैयारी की.

7. गुलिस्तां अंजुम: छोटे से गांव की लड़की

Man 5fe2fc070af97 64f9c9090b5b4

देहरादून के भुड्डी गांव से निकलकर पीसीएस-जे में सफल होने वाली गुलिस्तां अंजुम उन युवाओं के लिए मिसाल बनीं, जो अफसर बनने का सपना देखते हैं. गुलिस्तां के पिता हाजी हुसैन अहमद एक काश्तकार हैं. जीजीआइसी मलहान से शुरुआती शिक्षा पाने के बाद गुलिस्तां डीएवी पीजी कॉलेज पहुंची, यहां से उन्होंने एलएलबी में ग्रेजुएशन की और खुद को सिविल सर्विसेज की तैयारी में झोंक दिया. इसी के तहत 2017 में उन्होंने पहली बार पीसीएस-जे की परीक्षा दी थी. उनकी तैयारी पूरी थी. मगर वो परीक्षा पास नहीं कर सकीं.

आमतौर पर असफलता इंसान को तोड़ देती है. मगर गुलिस्तां ने हार नहीं मानी. आखिरकार वो पीसीएस-जे पास करने में सफल रहीं. खास बात यह कि गुलिस्तां ने अपनी अधिकतर पढ़ाई हिंदी मीडियम स्कूलों से की. ऐसे में उनकी सफलता बताती है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती.


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Rajkumar Raju

5 years of news editing experience in VOB.

Submit your Opinion

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला आयोजित बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी