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अंतरिक्ष में तैर रहा हजारों टन कचरा, धरती पर मंडरा रहा तबाही का खतरा

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मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद दुनिया की निगाहें अब ISRO के मिशन सूर्य पर है. आज यानि 2 September 2023 को इसरो का Aditya-L1 लॉन्च होने जा रहा है. भारत का सबसे भरोसेमंदक रॉकेट PSLV-XL इसे लेकर अंतरिक्ष में जाएगा, जहां से ठीक 127 दिन बाद Aditya-L1, सूरज के करीब मौजूद पॉइंट L1 पर पहुंच जाएगा, जहां से वो महत्वपूर्ण डेटा भेजना शुरू करेगा. इसी बीच कई लोग ऐसे भी हैं, जो Google पर अंतरिक्ष के तमाम रहस्यों के बारे में सर्च कर रहे हैं…

ऐसा ही एक दिलचस्प सवाल हमारे सामने भी आया- क्या अंतरिक्ष में भी कचरा है? अगर ध्यान से देखें तो ये सवाल बेहद वाजिफ है, क्योंकि आज से नहीं, बल्कि कई सालों से दुनिया भर के तमाम देश हर दिन-हर वक्त किसी न किसी अंतरिक्ष मिशन की तैयारी करते रहते हैं. अबतक कई अंतरिक्ष यान इन मिशन के तहत स्पेस में भेजे जा चुके हैं, जो शायद आज भी ऑर्बिट में चक्कर काट रहे हैं.

हजारों टन कचरा…

हाल ही में NASA ने भी इसके मद्देनजर जानकारी साझा की थी, जिसके मुताबिक जब हमारे द्वारा पृथ्वी की कक्षा में भेजी गई कई कृत्रिम चीजों का समय और मकसद पूरा हो जाता है, तब वो यूं ही बेकार अंतरिक्ष में घूमते रहते हैं. NASA के मुताबिक अबतक करीब 8,400 टन कचरा अंतरिक्ष में यूं ही बेकार पड़ा है, जो 18 हजार से 28 हजार माइल्स प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे हैं.

इन कटरों में रॉकेट स्टेज, रॉकेट के आगे के कोन, पेलोड के कवर, बोल्ट्स, फ्यूल टैंक, बैटरीज और लॉन्चिंग से जुड़े कई अन्य हार्डवेयर शामिल हैं. हालांकि NASA का कहना है कि अगर अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक कर सुधार किया जाए, तो आने वाले वक्त में परिचालन उपग्रहों और मानव अंतरिक्ष मिशनों से जुड़े तमाम जोखिमों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

पृथ्वी को खतरा…

दुनिया भर की कई स्पेस एजेंसियों ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है. साथ ही अंतरिक्ष में तैर रहे इस हाजारों टन कचरे से होने वाले खतरों के बारे में बताया है. दरअसल पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगा रहे इस मलबे की रफ्तार बेहद अधिक है, ऐसे में अगर इनमें से एक भी ऑब्जेक्ट पृथ्वी पर गिरता है, तो तबाही होना निश्चित है.

ऐसे होगा बचाव…

अच्छी खबर है कि इस परेशानी का समाधान है. दरअसल भारत की इसरो और अमेरिका की नासा सहित, विश्वभर की तमाम स्पेस एजेंसियां इसे लेकर चिंतित है. कई अध्ययनों के माध्यम से अंतरिक्ष पर्यावरण पर बढ़ते मलबे के प्रभाव को कम करने की कोशिश जारी है. ऐसे में कुछ प्रमुख उपाय हैं कि-

  1. एकल उपयोग रॉकेट के बजाय पुन: उपयोग किए जाने वाले लॉन्च व्हीकल्स के इस्तेमाल पर फोकस करना चाहिए.
  2. अंतरिक्ष यान की सामग्री और डिजाइन में सुधार करने होगी.
  3. स्पेस एजेंसियों को अपने मिशन में ज्यादा टिकाऊ सामग्रियों का इस्तेमाल करना होगा।


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Kumar Aditya

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