बिहार में क्लासिकल स्वाइन फीवर का खतरा! राज्य भर में सूअरों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू

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बिहार के सभी 38 जिलों में क्लासिकल स्वाइन फीवर (Classical Swine Fever) से बचाव के लिए टीकाकरण (Vaccination) अभियान शुरू किया गया है। पशुपालन निदेशालय ने शुक्रवार को बताया कि 10 दिनों तक चलने वाला यह टीकाकरण कार्यक्रम गुरुवार 20 मार्च से शुरू हो गया है। इसके तहत चार महीने से अधिक उम्र के सूअरों को यह टीका लगाया जाएगा। इस अभियान में राज्य भर के दो लाख 32 हजार 160 सूअरों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रतिदिन सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक होगा टीकाकरण

क्लासिकल स्वाइन फीवर से सूअरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे इस टीकाकरण अभियान के लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के पशुपालन निदेशालय ने सभी जिला पशुपालन पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए हैं। राज्य के सभी जिलों के प्रत्येक गांव एवं वार्ड में मुफ्त टीकाकरण प्रतिदिन सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक होगा। पशुपालन निदेशालय ने पशुपालकों से अनुरोध किया है कि वे इस कार्यक्रम का भरपूर लाभ उठाएं और अपने सूअरों को क्लासिकल स्वाईन फीवर रोग से बचाएं। निदेशालय ने सभी जनप्रतिनिधियों से भी इस टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आग्रह किया है। पशुपालन निदेशालय ने कहा है कि किसी भी योग्य सूअरों का टीकाकरण नहीं होने अथवा टीकाकरण के दौरान राशि की मांग करने की शिकायत पशुपालन निदेशालय को टेलीफोन पर की जा सकती है।

सूअरों के लिए गंभीर हो सकती है यह बीमारी

उल्लेखनीय है कि क्लासिकल स्वाइन फीवर मुख्य रूप से सूअरों (पिग्स) और जंगली सूअरों को प्रभावित करने वाली बीमारी है। यह मनुष्यों के लिए खतरनाक नहीं है लेकिन यह बीमारी सूअरों के लिए गंभीर हो सकती है। उनमें उच्च मृत्यु दर का कारण बन सकती है। यह बीमारी अन्य पालतू जानवरों को भी प्रभावित नहीं करती है। यह बीमारी वायरस की वजह से होती है और इसके पीड़ित सूअरों में मृत्यु दर काफी अधिक है। इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार के स्तर से प्रायोजित पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सूअरों का टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें राज्य सरकार का भी सहयोग काफी मायने रखता है। सरकार ने 2030 तक क्लासिकल स्वाइन फीवर के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इसके तहत पूरी कवायद चल रही है।

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