आज हम आपको एक ऐसे गरीब किसान परिवार की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिनकी तीनों बेटियों ने सिविल परीक्षा में सफलता का परचम लहराकर माता पिता के सपने को साकार किया है। आप और हम अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर किसी परिवार में एक भी लड़का या लड़की आईएएस या आईपीएस अफसर बन जाए या किसी अच्छे पोस्ट पर चले जाए तो यह अपने आप में बड़ी बात है। यहां तो तीनों लड़कियों ने कमाल कर दिखाया है।
दोस्तों सबसे पहले हम तीनों बहन के नाम जान लेते है बड़ी बहन जिसका नाम है अंशु छोटी की ऋतू और आखिरी वाली की सुमन वहीँ इनका जन्म साधारण परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम सहदेव सहारन और वे एक किसान है. इन लोगों की बचपन की पढाई अपने गाँव से ही पूरा हुआ।
राजस्थान प्रशासनिक सेवा के रिजल्ट के मुताबिक, अंशु ने 31वीं रैंक हासिल की तो ऋतु को 96 और सुमन को 98 रैंक मिली. तीनों बहनों का यह दूसरा अटेंप्ट था. रिजल्ट आने के बाद अंशु, ऋतु और सुमन ने बताया कि उनके पिता एक किसान हैं, जिस कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई सेल्फ स्टडी के जरिए ही की. तीनों बहनों ने बताया कि पांचवी तक वे लोग सरकारी स्कूल में ही पढ़े थे. इसके बाद उनकी पढ़ाई घरों पर ही हुई थी. इसलिए परीक्षा की तैयारी के दौरान वे लोग एक दूसरे के साथ मिलकर सेल्फ स्टडी करते थे।
तीनों बहनों ने बताया कि उन्हें पढ़ने की प्रेरणा उनकी दो बड़ी बहनों से मिली है. उनकी एक बहन राजस्थान में बीडीओ के पद पर तैनात है, जबकि दूसरी बहन भी सहकारी विभाग में अधिकारी के पद पर हैं।
उनके पिता सहदेव सहारन ने कहा कि उनके बच्चों ने गांव में पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने सेल्फ स्टडी के जरिए ही ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (UGC NET) भी क्वालिफाई किया है. उन्होंने आज तक कोई ट्यूशन नहीं लिया।
सहदेव सहारन बताते हैं कि उनकी बेटियों ने पूरे गांव को गौरवान्वित किया है. उन्होंने कहा कि उनकी उपलब्धि उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो बेटियों को बोझ समझते हैं।