भागलपुर। इमेरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) यानी डायल 112 में न सिर्फ एकरूपता लाने की कवायद हो रही है बल्कि उसका इस्तेमाल बढ़ाने को लेकर भी तैयारी है। कुछ जिलों से डायल 112 में प्रतिनियुक्त पुलिसकर्मियों से दो शिफ्ट में ही ड्यूटी कराए जाने जबकि कई जिलों में तीन शिफ्ट में ड्यूटी कराने की शिकायत पुलिस मुख्यालय को मिली थी। इस तरह की बात सामने आने के बाद मुख्यालय ने भागलपुर सहित सभी जिलों को लिखा है और यह सुनिश्चित करने को कहा है कि डायल 112 को लेकर तीन शिफ्ट में ड्यूटी कराई जाए।
बालू और शराब के अभियान में भी करें इस्तेमाल
पुलिस मुख्यालय का कहना है कि डायल 112 शिकायतों मिलने पर अपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे। इसके साथ ही शराब और बालू को लेकर चलने वाले विशेष छापेमारी अभियान में भी इसका इस्तेमाल करने को कहा गया है। डायल 112 के वाहन तकनीक से लैस होते हैं। उसमें जीपीएस सहित अन्य उपकरण लगे होते हैं। ऐसे में उन छापेमारी अभियान में उसका बेहतर इस्तेमाल किए जाने की बात कही गई है।
भागलपुर में 40 चारपहिया और 20 दोपहिया वाहन, 240 कर्मी प्रतिनियुक्त
भागलपुर जिले की बात करें तो यहां डायल 112 के लिए कुल 40 चारपहिया वाहन है। उन वाहनों पर 160 पुलिसकर्मी प्रतिनियुक्त हैं। शहरी क्षेत्र के 12 थानों मे प्रत्येक में एक ग्रिड के लिए वाहन उपलब्ध है। बाकी सभी थानों को एक-एक चारपहिया वाहन उपलब्ध कराया गया है। चारपहिया वाहनों पर प्रतिनियुक्त पुलिसकर्मियों की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा 40 दोपहिया वाहन भी उपलब्ध हैं। दोपहिया वाहनों के लिए दो शिफ्ट में 80 कर्मियों को प्रतिनियुक्त किया गया है।
जिओ फेंसिंग तकनीक इस तरह काम करती है
जिओफेंसिंग तकनीक आभासी सीमाएं या जियोफेंस बनाकर काम करती है। जियोफेंसिंग तकनीक सीमा निर्धारित करने के लिए जीपीएस सिग्नल का उपयोग करती है। तय सीमा में उक्त वाहन कब प्रवेश करता है और कब वहां से निकलता है इसको लेकर कंट्रोल रूम को मैसेज चला जाएगगा। ऐसे में यह पता चल जाएगा कि स्कूल, कॉलेज, अपराध वाले स्थल सहित अन्य चिह्नित की गई जगहों की सीमा में डायल 112 का वाहन कब प्रवेश किया और कब वहां से निकला।