भागलपुर के मायागंज अस्पताल में चिकित्सकों के आपसी मनभेद का खामियाजा एक महिला मरीज को भुगतना पड़ रहा है। दो महीने से अस्पताल में भर्ती प्रमिला देवी की स्पाइन सर्जरी डॉक्टरों के आपसी विवाद के कारण लगातार तीसरी बार टाल दी गई।
जानकारी के अनुसार, एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टर जीतेंद्र प्रसाद सिंह और हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कन्हैया लाल गुप्ता के बीच पिछले कुछ समय से मतभेद चल रहा है। डॉ. सिंह ने अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि डॉ. कन्हैया ने उन्हें अपशब्द कहे, जिससे वे जनरल एनेस्थीसिया देने से इंकार कर रहे हैं।
वहीं, डॉ. कन्हैया का कहना है कि डॉ. सिंह बार-बार मरीज को एनेस्थीसिया देने से बच रहे हैं, जिससे ऑपरेशन संभव नहीं हो पा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. सिंह जनरल एनेस्थीसिया देने में असमर्थ हैं, तो उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए।
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा नुकसान मरीज और उसके परिजनों को हो रहा है। प्रमिला देवी दो माह से भर्ती हैं और आयुष्मान भारत योजना के तहत उनकी स्पाइन सर्जरी होनी है। परिजन बताते हैं कि उन्हें तीन बार ऑपरेशन थिएटर तक ले जाया गया, लेकिन हर बार यही कहा गया कि “बेहोशी का डॉक्टर नहीं है” और उन्हें वापस वार्ड में भेज दिया गया।
बड़ी बात यह है कि भागलपुर के सांसद अजय कुमार मंडल ने खुद दो दिन पहले अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिखकर महिला की जल्द सर्जरी कराने का आग्रह किया था। इसके बावजूद बुधवार को फिर से ऑपरेशन टाल दिया गया।
अस्पताल अधीक्षक डॉ. हेमशंकर शर्मा ने सफाई देते हुए कहा,
“बुधवार को केंद्रीय टीम के आने की वजह से ऑपरेशन टालना पड़ा। अगले बुधवार को महिला की हर हाल में सर्जरी होगी।”
इस घटना ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासनिक हस्तक्षेप और राजनीतिक आग्रह के बावजूद यदि मरीज को समय पर इलाज न मिल सके, तो यह व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है।