तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में डिग्री की हार्ड कॉपी के साथ डिजी लॉकर पर अभी तक ऑनलाइन डिग्री या प्रमाणपत्र नहीं मिल रहा है। जबकि इसके लिए वर्तमान कुलपति सहित पूर्व के कुलपतियों ने कहा था। विवि में ऑनलाइन कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए कुछ वर्ष पहले यूएमआईएस के माध्यम से ऑनलाइन नामांकन शुरू हो गया है। अब डिग्री के लिए किये जाने वाले आवेदन को भी अधिक से अधिक ऑनलाइन माध्यम से करने को कहा गया है। पिछले कुछ सालों में यह संख्या तेजी से बढ़ी है।
चार साल पहले तक यह संख्या 8 से 10 प्रतिमाह हुआ करता था, लेकिन आज यह 500 से 600 ऑनलाइन आवेदन प्रतिमाह आ रहे हैं। लेकिन डिजी लॉकर की प्रक्रिया अभी तक नहीं शुरू हुई। पूर्व के कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे, डॉ. एलसी, डॉ. नीलिमा गुप्ता ने कहा था कि जल्द ही विवि में डिजी लॉकर शुरू किया जाएगा। इससे छात्रों को सुविधा मिलने के साथ विवि का भी समय बचता है। वर्तमान कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने भी कहा है कि जल्द ही डिजी लॉकर शुरू कराया जाएगा लेकिन अभी तक शुरू नहीं हुआ।
डिजी लॉकर पर प्रमाणपत्रों से छात्रों को हर जगह अपनी ओरिजनल प्रमाणपत्र ले जाने की जरूरत नहीं है। इसे ऑनलाइन देखा जा सकता है। नौकरियों के समय विभाग छात्र के प्रमाणपत्रों का वेरिफिकेशन विवि में भेजकर कराता है। इसमें न सिर्फ समय लगता है बल्कि विवि के कई कर्मचारियों को इसमें लगना पड़ता है तब जाकर प्रमाणपत्र जांचकर उसे जवाब वापस भेजा जाता है। लेकिन डिजी लॉकर होने से समय की बचत के साथ विवि में कर्मचारियों को इन कामों में नहीं लगना पड़ेगा। जब बड़े पैमाने पर नियुक्ति होती है तो बहुतायत में इस तरह की प्रमाणपत्रों की जांच के लिए आता है।
इसे कहा गया था लेकिन अभी परीक्षा नामांकन सहित कुछ कार्यों को समय पर पूरा कराने का लक्ष्य है। इसके बाद उसे कर लिया जाएगा।
प्रो. जवाहर लाल, कुलपति, टीएमबीयू
रखरखाव करना आसान
दिल्ली के पूर्व मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर मामले में प्रमाणपत्रों की जांच के लिए विवि में पड़े पुराने टेबुलेशन रजिस्टर को खोजने में कई दिन लगे थे। डिजी लॉकर पर यह प्रमाणपत्र रहता तो इतनी परेशानी नहीं होती। यहां प्रमाणपत्र हमेशा के लिए सुरक्षित रहता हैं।
गुम होने का डर नहीं
छात्रों को कई जगहों पर ओरिजनल प्रामणपत्र ले जानी होती है। ऐसे में कई बार वह कहीं भूल जाता है तो कभी फट भी जाता है। डिजी लॉकर पर प्रमाणपत्र होने से न तो गुम होने का और न ही फटने का भी डर रहेगा। इतना ही नहीं कागज की भी बचत होगी।