मकर संक्रांति को अब महज कुछ ही दिन शेष हैं। आगामी 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। मकर संक्रांति के मौके पर तिलकूट की बात न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता और तिलकूट की बात हो तो गया को कोई कैसे भूल सकता है। गया के तिलकुट का जलवा पूरे भारत वर्ष में है।
दरअसल, गया में डंगरा, टेकारी गया टाउन मे तिलकुट मुख्य रूप से बनाए जाते हैं। तिलकुट मे खासतौर पर चीनी, गुड़ और खोया का तिलकुट के लिये प्रसिद्ध है लेकिन बोधगया मे पिछले साल 2023 मे तिलकुट में एक नया प्रयोग किया गया। अब बोधगया प्रखंड क्षेत्र के इलरा गांव मे नीरा से तिलकुट तैयार किया जा रहा है। इसे बनाने वाली कुमारी पुष्पा राज ने बताया कि नीरा से तिलकुट बनाने की शुरुआत पिछले वर्ष की थी। नीरा से वे तिलकुट, लाई, पेड़ा लडडू बना रही हैं। नीरा से तैयार तिलकुट डायबिटिज के मरीज भी खा सकते हैं।
बिहार में वर्ष 2016 में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू किया गया था। शराबबंदी कानून लागू होने के साथ ताड़ी बेचने वाले समाज के सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई। इस समाज के लोगों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने ताड़ी से नारी बनाने की योजना शुरू की। अब राज्य में बड़े पैमाने पर ताड़ी से नीरा बनाया जा रहा है। नीरा पीने के साथ ही उससे खाने के भी कई उत्पाद अब बनाए जाने लगे हैं। आज नीरा उत्पादन के मामले में गया जिला पूरे बिहार में सबसे अव्वल है।
पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इलरा गांव पहुंचे थे, और नीरा से तैयार लड्डू, पेड़ा, लाई और तिलकुट बनाने के उपकरणों का निरक्षण किया था। बोधगया में नीरा से तिलकूट बनाया जा रहा है। मकर संक्रांति का पर्व नजदीक है। इस मौके पर नीरा से बने तिलकूट की खूब डिमांड हो रही है। अभी दो सौ किलो का ऑडर आया है। मकर संक्रांति से पहले नीरा से बना तिलकूट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भेजा जाएगा। पिछले साल भी मुख्यमंत्री को नीरा से बना तिलकूट भेजा गया था।