सनातन धर्म में पितृ पक्ष के बेहद महत्व है। पितृ पक्ष प्रत्येक साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू हो जाते हैं और आश्विन माह की अमावस्या तिथि तक चलते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष के 15 दिनों में पतरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाते हैं। साथ ही इस दौरान पिंडदान और दान इत्यादि भी किए जाते हैं। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ पक्ष को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि पितृ पक्ष के दौरान किन 5 तरह के पौधों को लगाने से पितृ दोष खत्म हो जाता है।
बेलपत्र
शिवजी की बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में बेल का पेड़ लगाने से अतृप्त आत्माओं को शांति मिलती है। इसके अलावा अमावस्या के दिन भगवान शिव को बेलपत्र और गंगाजल अर्पित करने से सभी पितरों को मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं, बेलपत्र पर चंदन लगाकर शिवजी को अर्पित करने से डरावने सपने नहीं आते।
तुलसी
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार तुलसी का एक पत्ता बैकुण्ठ तक पहुंचा सकता है। दाह संस्कार के बाद उस स्थान पर तुलसी का पौधा लगाया जाता है। अगर पितृपक्ष के दौरान तुलसी का पौधा लगाकर उसकी देखभाल की जाए तो पितरों को निश्चित मुक्ति प्राप्त होती है। नियमित तौर पर तुलसी के पौधे में जल अर्पित करने से पितरों को तृप्ति मिलती है।
अशोक
अशोक के पेड़ को घर के मुख्य द्वार पर लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। अगर आप पितृ दोष से पीड़ित हैं तो अपने घर के प्रांगण में या दरवाजे पर एक अशोक का पौधा जरूर लगाएं। मुख्य द्वार पर अशोक का पौधा लगाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
बरगद
कुंडली में पितृ दोष हो या आयु की समस्या हो, तो बरगद का वृक्ष लगाना शुभ है। अगर किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है, कि पितरों की मुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में तो बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा करने से लाभ प्राप्त होता है। इसके इलावा बरगद के पेड़ की परिक्रमा करना भी शुभ होता है।
पीपल
सनातन धर्म में पीपल के पेड़ को बेहद पवित्र माना गया है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में सभी देवी देवताओं और पितरों का वास होता है। पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करने या फिर इसे लगाने से शुभ फल प्राप्त होता है। पीपल के पेड़ पर नियमित रूप से दीपक जलाएं या इसमें जल डालें, तो पितृ प्रसन्न होते हैं। इसके इलावा यदि कुंडली में गुरु चांडाल योग हो, तो पीपल का पेड़ ज़रूर लगाना चाहिए।