मां और बच्ची को बचाने के लिए नहीं की जान की परवाह, नक्सलियों के इलाके में कूद गई यह नर्स; पढ़े पूरी रिपोर्ट
महाराष्ट्र के गडचिरोली में एक नर्स द्वारा अपने फर्ज को अंजाम देने की जबरदस्त मिसाल सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुातबिक, सपना भुरसे नाम की एक नर्स ने अपनी जान जोखिम में डालकर एक गर्भवती महिला की मदद की। अगर सपना महिला की मदद न करतीं तो प्रसव पीड़ा झेल रही महिला और उसकी पैदा होने वाली बच्ची की मौत हो सकती थी। सपना भुरसे की दिलेरी के चलते न सिर्फ महिला समय से अस्पताल पहुंच गई, बल्कि एक स्वस्थ बच्ची को भी जन्म दिया है।
बारिश के मौसम में बिगड़ जाते हैं हालात
बता दें कि बारिस के मौसम में गडचिरोली के हालात और खराब हो जाते हैं, ऐसे में किसी की तबीयत ज्यादा बिगड़ जाए तो जान पर बन आती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अहेरी तालुका में पर्मिली के पास स्थित चिन्ना कोरली की मूल निवासी 22 साल की राजे अजय गावड़े ताड़गांव में अपने घर से आई थी। जब वह खेतों में काम कर रही थी तभी उसे प्रसव होने लगा, और दर्द जब बर्दाश्त से बाहर हो गया तो वह किसी तरह अपने घर पहुंची। जब राजे की तबीयत के बारे में ताड़गांव प्राथमिक स्वास्थ्य टीम में कार्यरत संविदा स्वास्थ्य कार्यकर्ता सपना भुरसे को जानकारी मिली तो वह तुरंत उसकी जांच करने पहुंच गईं।
अस्पताल न जाती तो बचना मुश्किल था
सपना ने जब राजे की जांच की तो पाया कि प्रसव होने में ज्यादा देर नहीं थी। अगर राजे को जल्द ही अस्पताल में भर्ती न किया जाता तो बच्चे और मां की जान खतरे में पड़ जाती। बारिश की वजह से एंबुलेंस जाना संभव नहीं था और महिला बाइक पर बैठने की स्थिति में नहीं थी। ऐसे में सपना ने तत्परता दिखाते हुए अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की मदद से गर्भवती राजे को खाट पर लिटाया और नक्सल प्रभावित इलाके में लगभग एक से डेढ़ किमी पैदल चलकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचीं। अस्पताल में मौजूद डॉ. बी. एम. सातमवाद और उनकी टीम ने 14 जुलाई को दोपहर करीब 2:30 बजे राजे का सुरक्षित प्रसव कराया और उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया।
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