पटना: शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन को महाअष्टमी भी कहते हैं. मां दुर्गा के नौ रुपों में महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है. इस स्वरूप को कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान करने वाली, समृद्धि और सुख का वरदान देने वाला माना जाता है. मान्यता है कि मां की पूजा-अर्चना से सुख-शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान प्राप्त होता है.
अष्टमी का महत्व: महाअष्टमी के दिन महागौरी की पूजा होती है. सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी भी कहा जाता है. महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं. समस्त पापों का नाश होता है. सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती और हर मनोकामना पूर्ण होती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा को विशेष भोग भी लगाया जाना चाहिए. यदि ये भोग मां दुर्गा को नहीं लगे तो नवरात्र को पर्व अधूरा माना जाता है.
क्या है पूजा का समय है पूजा विधि?
महाअष्टमी तिथि की शुरुआत दोपहर 12:30 बजे होगी और 11 अक्टूबर को 12:05 बजे समाप्त होगी. महागौरी की पूजा के लिए भक्तों को बह्म मुहूर्त में उठकर स्नान से निवृत्त होना चाहिए. सफेद रंग के वस्त्र पहनकर घर के मंदिर को साफकर गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए. फिर चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में पानी भरकर और उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूरी श्रद्धा के साथ महागौरी की पूजा करें.
इस मंत्र का करें जाप
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।