बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक का आज दूसरा दिन, इन मुद्दों पर होगी चर्चा; पढ़े पूरी रिपोर्ट

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2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी का किला भेदने की रणनीति बनाने के लिए कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में इकट्ठा हुए विपक्षी दलों की बैठक का आज दूसरा दिन है. बताया जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों की इस संयुक्त बैठक में 26 दल हिस्सा ले रहे हैं. इस क्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार भी आज बैठक में शामिल होने बेंगलुरु पहुंच गए हैं. आपको बता दें कि कल यानी 17 जून को विपक्षी पार्टियों की इस बैठक का पहला दिन था, लेकिन एनसीपी चीफ इसमें शामिल नहीं हो पाए थे. एनसीपी की तरफ पवार के मीटिंग में शामिल न होने की जानकारी भी दी गई थी. एनसीपी प्रवक्ता ने बताया था कि शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले 18 जुलाई को बैठक में शामिल होंगी.

विपक्षी पार्टियों की बैठक में इन मुद्दों पर होगा मंथन-

सूत्रों के अनुसार विपक्षी पार्टियों की इस संयुक्त बैठक में यूं तो कई बिंदुओं पर चर्चा होगी, लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव 2024 के लिए न्यूनतम साक्षा कार्यक्रम बनाना और राज्यवार गठबंधन पर आम सहमति बनाना प्रमुख हैं. इसके साथ ही राज्यवार सीटों के बंटवारे और महागठबंधन का नाम तय करने का निर्णय भी इस बैठक में लिया जा सकता है. आपको बता दें कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी की चीफ ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाते हुए राज्यवार जनाधार के आधार पर सीटों के बंटवारे पर विचार करना चाहिए. इसके साथ ही गठबंधन का संयोजक भी आज चुना जा सकता है. इस बीच चुनाव बाद गठबंधन के चेहरे यानी प्रधानमंत्री पद के चेहरे का नाम तय करना सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है. क्योंकि नीतीश कुमार और ममता बनर्जी समेत दूसरे कई नेता भी पीएम पद के लिए अपना-अपना दावा ठोक सकते हैं. हालांकि ये नेता पहले ही कह चुके हैं कि गठबंधन का मकसद लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हराना है, प्रधानमंत्री के नाम पर बाद में विचार कर लिया जाएगा.

कर्नाटक में बैठक और सोनिया के शामिल होने के मायने

आपको बता दें कि इससे पहले 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक का नेतृत्व किया था. लेकिन इस बार बैठक की अगुवाई कांग्रेस कर रही है. खास बात यह है कि इस बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी हिस्सा ले रही हैं. यही वजह है कि कांग्रेस ने इस बार बैठक का आयोजन पार्टी शासित राज्य कर्नाटक में किया. इसके पीछे कांग्रेस का मकसद बैठक में अपना एजेंडा सेट करना भी हो सकता है. वैसे ही कर्नाटक का किला जीतने के बादकांग्रेस के हौसले सातवें आसमान पर हैं. दूसरा यह कि सोनिया गांधी को लंबे समय तक गठबंधन नेतृ्त्व का अनुभव है. 2004 में सरकार बनाने के समय कांग्रेस की अगुवाई में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (सप्रंग) बनाया गया था, सोनिया ने 2014 तक जिसका सफल नेतृत्व किया था. इसके साथ ही ममता बनर्जी जैसे कुछ नेताओं के नंबर राहुल गांधी से मेल नहीं खाते, लेकिन उनको सोनिया गांधी के साथ खड़े होने में कोई परेशानी नहीं है.

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