भागलपुर। दीपावली में शाम को हुक्का-पांती खेलने की परंपरा अंगनगरी में सदियों से चली आ रही है। अंग प्रदेश के साथ-साथ यह परंपरा मिथिला, कोसी क्षेत्र और पूर्व बिहार के भी कई जिलों में है। यह परंपरा घर से दरिद्र वास को हटाने और लक्ष्मी के आवाहन द्योतक है।
दीपावली के मौके पर जलाये जाने वाले हुक्का-पांती से लोग लक्षमी घर, दरिद्र बाहर करेंगे। बदलते दौर में दीये की जगह चाइनीज मोमबत्ती ने भले ले ली, लेकिन हुक्का-पांती के जरिये इस परंपरा की यह लौ अब भी जल रही है। वहीं दूसरी ओर यह कई लोगों की जीविका का साधन भी है। शहर में दीपावली के मौके कई दर्जनों जगहों पर सनाठी से बनी हुक्का-पांती की बिक्री के लिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से लोग पहुंचे हैं। इस बाबत तिलकामांझी चौक पर हुक्का-पांती बेच रहे कजरैली निवासी सुनील कुमार ने बताया कि उनके पूर्वज भी हुक्का-पांती बेचने का काम करते थे। अब वह भी अलग-अलग त्योहार के मौके पर संबंधित सामग्रियों की बिक्री कर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं। जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि हुक्का-पांती घर से दरिद्र नारायण के वास को खत्म करने की परंपरा है।