भारतीय रेल ने संगलदान से रियासी तक इलेक्ट्रिक इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इसमें चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे स्टील आर्च रेल ब्रिज को पार करना भी शामिल है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रायल रन का वीडियो एक्स पर पोस्ट किया है. रेल मंत्री ने लिखा, ‘पहली ट्रायल ट्रेन संगलदान से रियासी तक सफलतापूर्वक चली है, जिसमें चिनाब ब्रिज को पार करना भी शामिल है. यूएसबीआरएल के लिए सभी निर्माण कार्य लगभग समाप्त हो चुके हैं, केवल सुरंग नं. 1 आंशिक रूप से अधूरी है.’
इससे पहले एक अधिकारी ने रविवार को कहा कि जैसे-जैसे मंत्रालय अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना के करीब पहुंच रहा है, रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) डी सी देशवाल 46 किलोमीटर लंबे संगलदान-रियासी खंड का दो दिवसीय निरीक्षण करेंगे. उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार के अनुसार, निरीक्षण 27 और 28 जून को निर्धारित है. कुमार ने आश्वासन दिया कि सीआरएस निरीक्षण से पहले आवश्यक कार्य पूरा कर लिया जाएगा.
रेलवे सूत्रों का कहना है कि ट्रैक पर इलेक्ट्रिक इंजन के सफल परीक्षण के बाद संगलदान और रियासी के बीच उद्घाटन ट्रेन 30 जून को चलने की संभावना है. पिछले महीने, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधरी ने परियोजना के विभिन्न पहलुओं का आकलन करने के लिए चिनाब ब्रिज और बक्कल-दुग्गर-सावलकोट-संगलदान खंड का निरीक्षण किया था.
272 किलोमीटर की है यूएसबीआरएल परियोजना
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना 272 किलोमीटर की है. इसे 1997 में मंजूरी दी गई थी. 1997 में अपनी शुरुआत के बाद से इस पर 209 किलोमीटर की दूरी का काम हो चुका है. रियासी और कटरा के बीच शेष 17 किलोमीटर की दूरी इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है, जो अंततः कश्मीर को बाकी हिस्सों से जोड़ देगी.
एफिल टावर से भी ऊंचा है चिनाब ब्रिज
चिनाब रेल पुल नदी के तल से 359 मीटर ऊपर और एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस पुल को पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है.