आज का समय विज्ञान का है। विज्ञान ने कई लाइलाज बीमारियों का इलाज खोज लिया है। लेकिन अभी भी कई लोग ढोंगियों और अज्ञानी लोगों के बहकावे में आकर जादू टोने के भरोसे से इलाज कराते हैं। आपने भी कभी ना कभी सुना होगा कि फलाना बाबा या फ़क़ीर दुआ पढ़कर रोगों को ठीक करता है। शायद आपने किसी को ऐसा करते हुए भी देखा होगा। लेकिन अब असम में ऐसा करना गैरक़ानूनी होने वाला है।
सरकार ने विधेयक पर लगाई मुहर
शनिवार को असम सरकार ने उपचार के नाम पर ‘जादुई उपचार’ की प्रथाओं को प्रतिबंधित करने और समाप्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी। इस विधेयक में ऐसे उपचारकर्ताओं के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। यह निर्णय मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया।
बैठक में लिए गए निर्णयों को साझा करते हुए शर्मा ने कहा कि कैबिनेट ने एक समर्पित सतत विकास कार्यक्रम के लिए 10 शहरों/कस्बों का भी चयन किया और राज्य नगरपालिका कैडर में सुधार लाने का प्रस्ताव रखा। मंत्रिपरिषद ने ‘असम उपचार (बुराइयों की रोकथाम) प्रथा विधेयक, 2024′ को मंजूरी दे दी। विधेयक का उद्देश्य बहरापन, गूंगापन, अंधापन, शारीरिक विकृति और ऑटिज्म जैसी कुछ जन्मजात बीमारियों के इलाज के नाम पर जादुई उपचार की प्रथाओं को प्रतिबंधित करना और समाप्त करना है।