पवन सिंह की इंट्री से काराकाट में त्रिकोणीय मुकाबला, यहां जीत हासिल करना ‘लॉलीपॉप’ नहीं

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बिहार की सबसे चर्चित लोकसभा सीट काराकाट बन गई है. चुनाव में पवन सिंह की निर्दलीय एंट्री ने बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है. यही कारण है कि उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 मई को और गृहमंत्री अमित शाह 26 मई को चुनाव प्रचार करने काराकाट आ चुके हैं. 28 मई को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और 29 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में प्रचार करने आ रहे हैं।

बीजेपी से मिला था पवन को टिकटः पवन सिंह आरा से चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन, बीजेपी ने उन्हें पश्चिम बंगाल के आसनसोल से शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ टिकट दिया था. टिकट मिलने के बाद पवन सिंह ने खुशी जताई थी लेकिन बाद में यहां से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. कुछ दिन बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि वह चुनाव लड़ेंगे. पवन सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि- “मैं अपने समाज जनता जनार्दन और मां से किया हुआ वादा पूरा करने के लिए चुनाव लडूंगा.” बाद में उन्होंने काराकाट से पर्चा भरा. नाम वापसी की तिथि बीतने के बाद बीजेपी ने पवन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

पवन सिंह पर साधी चुप्पीः बीजेपी के प्रवक्ता राकेश सिंह का कहना है कि काराकाट लोक सभा क्षेत्र से एनडीए के सहयोगी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं. सहयोगी दल के प्रत्याशी होने के नाते भाजपा की जिम्मेवारी बनती है कि अपने सहयोगी के समर्थन में खुलकर आएं. यही कारण है कि बीजेपी के तमाम बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. पवन सिंह कितना प्रभावी होंगे, इसको लेकर भाजपा प्रवक्ता बोलने से बचते रहे. उनका कहना था कि CPI-ML की खूनी राजनीति को पूरे देश ने देखा है, इसलीए बीजेपी की प्राथमिकता है कि ऐसी शक्तियों को रोकें।

एनडीए के अधिकृत उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहाः राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि पवन सिंह भोजपुरी सिनेमा के एक बड़े कलाकार है उनके प्रशंसक उनको पावर स्टार के रूप में मानते हैं. काराकाट लोकसभा क्षेत्र में जब पवन सिंह की एंट्री हुई तो लोगों में बहुत दिनों तक कन्फ्यूजन रहा. क्योंकि वह नरेंद्र मोदी बीजेपी की भी बात कर रहे थे. मतदाताओं में पवन सिंह को लेकर जो कंफ्यूजन है उसको दूर करने के लिए भाजपा के सभी बड़े नेता यहां उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. ताकि अपने समर्थकों के बीच में यह संदेश जा सके कि एनडीए के अधिकृत उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा ही है।

गड़बड़ा सकता है राजनीतिक समीकरणः डॉ संजय कुमार का कहना है कि भाजपा के सभी नेताओं को इसलिए यहां चुनाव प्रचार के लिए आना पड़ रहा है क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा की कुशवाहा समाज के वोटरों पर अच्छी पकड़ है. महागठबंधन ने कुशवाहा समाज के 8 नेताओं का अपना प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी की परेशानी है कि यदि राजपूत समाज का वोट उपेंद्र कुशवाहा को नहीं मिलता है तो इस फेज में जहां भी चुनाव है वहां के बीजेपी कैंडिडेट को कुशवाहा समाज का वोट ना मिले. ऐसे में आरा, बक्सर और सासाराम में कुशवाहा समाज का वोट बीजेपी को नहीं मिलता है तो राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा सकता है।

क्या है जातीय समीकरणः काराकाट सीट पर आरा की तरह ही बड़ी संख्या में राजपूत आबादी है. यहां दो लाख से ज्यादा राजपूत वोटर है. इसके साथ ही 75 हजार ब्राह्मण और करीब 50 हजार भूमिहार वोटर है. लवकुश (कोइरी-कुर्मी) वोटर ढाई लाख है. एनडीए में यह सीट उपेंद्र कुशवाहा के खाते में गयी है. जबकि महागठबंधन ने सीपीआई (एमएल) को दिया है. काराकाट सीट से उपेंद्र कुशवाहा, कुशवाहा जाति के हैं. जबकि सीपीआई(एमएल) के उम्मीदवार राजा राम सिंह कुशवाहा भी इसी जाति से हैं. जाहिर है कि यहां कोइरी कुर्मी जाति के वोट दोनों उम्मीदवार में बंटेगा. ऐसे में राजपूत जाति से आने वाले पवन सिंह अगर सवर्ण वोट को साध लेते हैं तो यहां से चौंकाने वाला परिणाम आ सकता है।

कुशवाहा उम्मीदवारों की सेफ सीटः पिछले तीन लोकसभा चुनाव 2009 से 2019 तक यहां से कुशवाहा जाति के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं. इस चुनाव में भी शुरू-शुरू में उपेंद्र कुशवाहा और राजाराम सिंह के बीच में ही सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा था. लेकिन पवन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर सभी राजनीतिक समीकरण को उलझा दिया. पवन सिंह को लेकर इलाके में राजनीतिक चर्चा तेज हो गई, क्योंकि वो राजपूत जाति से आते हैं. पवन सिंह के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद सबसे ज्यादा टेंशन उपेंद्र कुशवाहा को है, क्योंकि उनको लग रहा है कि एनडीए के परंपरागत वोट बैंक में बिखराव हो सकता है।

काराकाट लोकसभा का इतिहासः काराकाट लोकसभा क्षेत्र पहले बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह काराकाट लोकसभा क्षेत्र बन गया. काराकाट, रोहतास जिले का हिस्सा है. इस लोकसभा क्षेत्र में रोहतास जिले का नोखा, डेहरी और काराकाट विधानसभा इसके अलावा औरंगाबाद जिले का गोह, ओबरा और नवीनगर विधानसभा क्षेत्र आता है. काराकाट लोकसभा से 2009 से 2019 तक इस सीट पर कुशवाहा उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं. पिछले तीन लोकसभा चुनाव में 2009 और 2019 जदयू के महाबली सिंह कुशवाहा तथा 2014 में RLSP के उपेंद्र कुशवाहा ने यहां जीत दर्ज की थी।

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