बिहार में बहुमत परीक्षण से पहले फंस गया पेंच, बिहार में सच होगी तेजस्वी की भविष्यवाणी?

Picsart 24 02 03 13 54 17 264

बिहार में 28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार ने राजद से अपना नाता तोड़ लिया और एक बार फिर से एनडीए से अपना दामन जोड़ लिया। इसके बाद लगभग एक सप्ताह गुजरने को है लेकिन न तो मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है और न ही सीएम नीतीश कुमार के साथ शपथ लेने वाले 8 मंत्रियों को उनका विभाग आवंटित किया गया है। इसके बाद अब मांझी ने भी इशारों ही इशारों में बड़ी बात कह डाली है। जिसके बाद अब सियासी गलियारों में कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं। लोगों द्वारा अब यह सवाल किया जाना शुरू हो गया है कि – क्या सत्ता से दूर होने के बाद तेजस्वी यादव की भविष्यवाणी सच होगी?

दरअसल, साल बिहार में 28 जनवरी 2024 यानी रविवार के दिन बहुत बड़ा सियासी खेल देखने को मिला। नीतीश कुमार ने इस दिन नवमी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और राजद को बहुत बड़ा झटका लगा। क्योंकि राजद जहां इस बार एक साथ मिलकर लोकसभा विधानसभा चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रही थी तो वह ही नीतीश कुमार ने इस पूरे प्लान को फेल कर दिया। लेकिन इसके बाद तेजस्वी यादव की तरफ से जो बातें कहीं गई वह अपने आप में एक बड़ा संकेत माना जा रहा था। तेजस्वी यादव ने कहा था कि बिहार में अभी खेल होना बाकी है अभी तो इसकी शुरुआत भी नहीं हुई है। इसके बाद अबदेश भी किया बातें थोड़ी बहुत खुलकर सामने आने लगी है।

बीते कल एनडीए में शामिल जीतन मांझी ने एक बहुत बड़ा दाव खेला हैं। मानसी नया कहा कि बिहार में नई सरकार का गठन हुआ है नई सरकार में हमारी पार्टी से एक नेता को मंत्री पद दिया गया है लेकिन हमें लगता है कि हमारी पार्टी को एक और मंत्री पर देना चाहिए। यदि मेरे साथ ऐसा नहीं होता है तो फिर यह अन्याय होगा।

इतना ही नहीं मांझी ने एक और बड़ा खुलासा किया है मांझी ने कहा है कि उन्हें रजत के तरफ से मुख्यमंत्री बनने तक का नेता दिया गया था लेकिन इसके बावजूद वह उधर नहीं गए क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि एनडीए में उन्हें उचित सम्मान दिया जाएगा। ऐसे में अब नीतीश कुमार या एनडीए के लिए मांझी बहुत पर बड़ा सिर दर्दी बन गए हैं।

मालूम हो कि, सूबे की नई सरकार को विधानसभा के अंदर अपना बहुमत साबित करना है। इसको लेकर 12 फरवरी का समय तय किया गया है। ऐसे में यदि राजद और तेजस्वी यादव कोई बड़ा खेल करते हैं तो फिर उनकी भविष्यवाणी सच साबित हो सकती है। यदि तेजस्वी यादव जीतन राम मांझी को अपने साल में लाने में कामयाब हो जाते हैं तो फिर एनडीए के लिए मुश्किल हो सकती है क्योंकि एनडीए अचानक से उस दिन बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। हालांकि इस बात की उम्मीद बेहद कम बताई जा रही है।

आपको बताते चलें कि, बिहार के अंदर वर्तमान आरजेडी के पास 80 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 19 एमएलए हैं, जबकि लेफ्ट पार्टियों के पास कुल 16 विधायक हैं। अगर, एआईएमआईएम के एक विधायक को जोड़ लें तो ये आंकड़ा 116 तक पहुंचता है जो बहुमत से 6 कम रह जाता है। यही बात महागठबंधन की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है।

उधर, नीतीश कुमार बीजेपी के साथ आने के बाद जो सदन की स्थिति हैउसमें बीजेपी के पास फिलहाल 78 विधायक हैं। जेडीयू के पास विधायकों की संख्या 45 है। नीतीश सरकार को एक निर्दलीय विधायक का समर्थन हासिल है। इसके अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के पास चार विधायक हैं। कुल मिलाकर विधायकों की संख्या 128 हो जा रही है, जो बहुमत के आंकड़े से 6 ज्यादा है। ऐसे में यदि मांझी नीतीश कुमार का साथ छोड़ते हैं तो फिर भी एनडीए के पास बहुमत से एक संख्या अधिक होगी यानी एनडीए में पास कुल 124 हो जाति है जो बहुमत से अधिक है। ऐसे में यदि तेजस्वी को खेला करना है तो पहले उन्हें बीजेपी या फिर जदयू में सेंधमारी करनी होगी तभी उनकी भविष्यवाणी सच होगी वरना इस बात की कोई हकीकत नहीं है।

Sumit ZaaDav: Hi, myself Sumit ZaaDav from vob. I love updating Web news, creating news reels and video. I have four years experience of digital media.