ट्रक ड्राइवर का बेटा IIM लखनऊ में पढ़ेगा, ये कहानी बहुत कुछ सिखाती है
‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’. इन पक्तियों के साकार किया है आंध्र प्रदेश के गणमद्दुला नागा सुमंत ने जो चुनौतियों के आगे झुकने के बजाए अपना सपना साकार होने तक दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुटे रहे. पूरी करने के लिए आईआईएम (लखनऊ) में पढ़ने का सपना आखिरकार साकार कर लिया. उनकी ये कामयाबी इसलिए भी खास है कि जिंदगी उनके लिए आसान नहीं थी. नागा सुमंत एक ट्रक ड्राइवर के बेटे हैं, जिन्होंने घर जाने के बजाए अपनी ज्यादातार जिंदगी हाईवे पर गाड़ियां दौड़ाते हुए काट दीं ताकि उनके बेटे को एक अच्छी जिंदगी मिल सके।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रक ड्राइवर सुब्बरायुडु गणमद्दुला और एक प्राइमरी स्कूल टीचर जी आदि लक्ष्मी के बेटे सुमंत को स्कूली शिक्षा के दौरान हमेशा पैसों की किल्लत यानी आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा. क्योंकि उनके पिता की आधी से ज्यादा कमाई तो राशन जुटाने और घर का किराया देने में निकल जाती थी।
सुमंत ने सुनाई आपबीती
सुमंत ने कहा, ‘मैंने अपने पिता के संघर्षों को देखा है. फसल कटाई के दौरान, वो कई-कई हफ्ते हमसे दूर रहते थे. पांचवी क्लास से लेकर ग्रेजुएशन तक मैंने स्कॉलरशिप हासिल की. इस तरह मैंने पिता पर पड़ने वाले आर्थिक दबाव को कुछ कम किया. आगे मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भी स्कॉलरशिप जीती और IIIT श्रीकाकुलम से बीटेक पूरा किया.
सपनों की उड़ान को जब लगे पंख
सुमंत की आगे की जर्नी भी बड़ी दिलचस्प रही. आईआईएम लखनऊ का सफर उसकी इंजीनियरिंग के आखिरी सेमेस्टर के दौरान शुरू हुआ. ये वो समय था जब सुमंत ने IIT मद्रास में डेटा साइंस और प्रोग्रामिंग पाठ्यक्रम में दाखिला लिया. वहां उन्हें CAT (कैट) और IIM (आईआईएम) के बारे में पता चला. सुमंत आगे बताते हैं कि आईआईटी मद्रास के सिलेबस ने उन्हें मैनेजमेंट की दुनिया से रूबरू कराया।
आगे चलकर सुमंत ने खुद को नई दिशा में मोड़ दिया. रोजाना 12-12 घंटे की स्टडी से उनके मार्क्स हमेशा 97% के आस पास बने रहे. मैथ उनकी ताकत थी. वो अपनी कामयाबी का क्रेडिट अपने उस चाचा को देते हैं, जिन्होंने उन्हें पढ़ाने में मदद के साथ साथ जरूरत पड़ने पर रुपए पैसे से भी मदद की. सुमंत ने कहा कि उनके अंकल ने भी एमबीए किया था. ऐसे में उन्हें उनसे हमेशा मदद मिली. अब मैं IIM में पहुंच गया हूं तो यकीनन मेरी भी किस्मत बदल जाएगी।
हैंडसम सैलरी वाली कॉर्पोरेट नौकरी
सुमंत का कहना है कि उनका तात्कालिक लक्ष्य सबसे पहले अपने परिवार की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए एक कॉर्पोरेट नौकरी हासिल करना है. मेरे पास कई प्लान हैं, बस उन्हें एक्जीक्यूट करना है।
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