ग्रामीण विकास विभाग के तहत मनरेगा के माध्यम से पोषण वाटिका की स्थापना सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं का कुपाषण से बचाने के लिए की जाएगी

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राज्य के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को कुपोषण से बचाने एवं उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विद्यालय परिसर में पोषण वाटिका की स्थापना की जाएगी। ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत मनरेगा योजना के माध्यम से यह वाटिका स्थापित की जाएगी। इस संबंध में जानकारी देते हुए आयुक्त मनरेगा श्रीमती अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि ग्रामीण विकास विभाग एवं शिक्षा विभाग के अभिसरण एवं समन्वय से पोषण वाटिका स्थापित किया जाना है। इस वाटिका में आँवला, सहजन, नींबू, अमरूद, जामुन, अनार, लीची. शरीफा के अलावा अन्य फलों एवं सब्जियों के पौधे लगाए जाएंगे, जिनसे विद्यार्थियों को पोषण युक्त मध्याह्न भोजन सुनिश्चित हो सकेगा। जानी-मानी गैर सरकारी संस्था ‘यूनिसेफ’ द्वारा इस कार्य में तकनीकी सहयोग दिया जाएगा। शुरुआती चरण में राज्य के 533 प्रखंडों के चारदीवारी एवं चापाकल की सुविधा से युक्त 2665 विद्यालयों में पोषण वाटिका स्थापित किए जाने की योजना है। आगे चल कर राज्य के सभी ग्राम पंचायतों में न्यूनतम एक पोषण वाटिका स्थापित किया जाएगा।

इस सिलसिले में पिछले महीने राजधानी पटना शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसमें आयुक्त मनरेगा सहित अन्य पदाधिकारियों एवं ‘यूनिसेफ’ के विशेषज्ञों ने इस विषय पर विस्तृत विमर्श किया था।

पोषण वाटिका के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर का भी सृजन होगा। मनरेगा की नीतियों के तहत स्थानीय ग्रामीणों का चयन वनपोषक के रूप में किया जाएगा। चयनित किए गए वनपोषक पोषण वाटिका में रोपे गए पौधों की देखभाल एवं पटवन का कार्य करेंगे। वनपोषक अगले 5 वर्षों तक अपनी सेवाएं प्रदान कर सकेंगे।

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